Cabinet approves Bhopal and Indore Metro Rail Project

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भोपाल मेट्रो रेल परियोजना को मंजूरी दे दी है। इस परियोजना के तहत करोंद सर्कल से एम्स तक और भदभदा चौराहे से रत्नागिरि तिराहा तक दो रेल गलियारे बनाए जायेंगे, जिनकी कुल लम्बाई 27.87 किलोमीटर होगी। इनमें से करोंद सर्कल से एम्स गलियारा 14.99 किलोमीटर और भदभदा चौराहे से रत्नागिरि तिराहा गलियारा 12.88 किलोमीटर का होगा। ये गलियारे भोपाल के प्रमुख इलाकों को जोड़ेगें।

विवरण :
करोंद सर्कल से एम्स के बीच बनने वाली मेट्रो रेल लाइन ज्यादातर हिस्सों में जमीन से ऊपर (एलिवेटेड) होगी।
केवल भोपाल रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन के पास का इसका हिस्सा भूमिगत रहेगा। इस रेल मार्ग पर 16 स्टेशन होंगे। जिनमें से 14 जमीन से ऊपर और 2 भूमिगत होंगे। भदभदा चौराहे से रत्नागिरि तिराहे के बीच की मेट्रो लाइन पर 14 स्टेशन होंगे जो सभी जमीन से ऊपर बने होंगे
शहर की आबादी वाले इलाकों में यह रेल परियोजना वहनीय, भरोसेमंद, सुरक्षित और निर्बाध परिवहन सेवा उपलब्ध कराएगी। जिससे दुर्घटनाओं में कमी आएगी, यात्रा समय में बचत होगी, ऊर्जा की खपत और प्रदूषण घटेगा तथा टिकाऊ विकास के लिए शहरी विस्तार और भूमि के इस्तेमाल को बेहतर तरीके से नियंत्रित किया जा सकेगा।इस परियोजना पर अनुमानित 6941.40 करोड़ रुपये का खर्च आयेगा। यह परियोजना 4 वर्ष में पूरी होगी।

-कैबिनेट ने इंदौर मेट्रो रेल परियोजना को मंजूरी दी
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल ने इंदौर मेट्रो रेल परियोजना को मंजूरी दी है। जिसमें बंगाली स्क्वायर-विजय नगर-भावरशाला-एयरपोर्ट-पाटासिया-बंगाली स्क्वायर रिंग लाइन शामिल हैं। इस मार्ग की कुल लंबाई 31.55 किलोमीटर है जो इंदौर के सभी प्रमुख केंद्रों और शहरी क्षेत्रों को जोड़ेगा।

विवरण:
रिंग लाइन की लंबाई 31.55 किलोमीटर है। रिंग लाइन बंगाली स्क्वायर-विजय नगर-भावरशाला-एयरपोर्ट-पाटासिया-बंगाली स्क्वायर तक होगी।
रिंग लाइन पर स्टेशनों की संख्या 30 हैं। इस परियोजना से इंदौर शहर में सुरक्षित, विश्वसनीय और वहनीय यातायात प्रणाली उपलब्ध होगी जिसमें शहर के सभी प्रमुख केंद्र जुड़ेंगे। इससे दुर्घटनाओं, प्रदूषण, यात्रा के समय में कमी, ऊर्जा खपत, असामाजिक गतिविधियों में कमी आएगी तथा शहरी विस्तार और सतत विकास के लिए जमीन के इस्तेमाल में मदद मिलेगी। इस परियोजना की अनुमानित लागत 7500.80 करोड़ हैं और इसे चार वर्ष में पूरा किया जाएगा।

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