-संजय सैनी
jaipur. सांगानेर विधानसभा में माहौल गर्माया हुआ है। इस विधानसभा क्षेत्र से चुनाव में तीन बार जीत कर तिकड़ी जमा चुके घनश्याम तिवाड़ी इस बार भाजपा के कमल के बजाय बांसुरी वाली भारत वाहिनी पार्टी से दावेदार है। तिवाड़ी ने इस सीट को इस बार प्रतिष्ठा की सीट बना लिया है। वहीं कांग्रेस ने भी युवा पुष्पेन्द्र भारद्वाज को मैदान में उतारा है। पुष्पेन्द्र लगातार इस क्षेत्र में सक्रिय तो रहे हैं लेकिन ऐन मौके पर उन पर जमीनों पर कब्जा करने के आरोप लग चुके हैं। आरोपों से पुष्पेन्द्र को नुकसान पहुंच रह है।
घनश्याम तिवाड़ी ने तो इसे मुद्दा ही बना लिया है। पुष्पेन्द्र के साथ अभी नाराज कांग्रेसी भी पूरी तरह चुनाव प्रचार में नहीं उतरे हैं। सांगानेर से ब्लाक कांग्रेस अध्यक्ष बिरदीचंद, मनमोहन गुर्जर, रामस्वरूप चौधरी, धर्मसिंह सिंघानियां भी टिकट के दावेदारों में से थे। ये नेता भी अभी तक नाराज चल रहे है। इसका खामियाजा भी पुष्पेन्द्र को उठाना पड़ सकता है, हालांकि भारद्वाज ने इन सबकी नाराजगी दूर करने की काफी कोशिश की भी की है पर उन्हें ज्यादा सफलता नहीं मिली है।
इस क्षेत्र से भाजपा का चुनाव लड़ रहे अशोक प्रत्याशी को निर्दलीय ज्ञानदेव आहूजा के नामांकन वापस लेने से बड़ी राहत मिली है। सिंधी व पंजाबी समुदाय से जुड़ा होने के कारण आहूजा भाजपा प्रत्याशी को खासा नुकसान पहुंचा सकते थे। मानसरोवर और सांगानेर में बड़ी तादाद में सिंधी व पंजाबी समुदाय है। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ भी पूरी तरह लाहौटी के पक्ष में नहीं आ पाया है। घनश्याम तिवाड़ी भाजपा के कद्दावर नेता है और पांच साल तक मुख्यमंत्री वसुंधरा से टक्कर लेते रहे हैं पर क्षेत्र के लोगों की नाराजगी दूर नहीं कर पाए हैं।
भाजपा के कार्यकर्ता और आरएसएस भी पूरी तरह उनके साथ नहीं है जिसका खामियाजा तिवाड़ी को उठाना पड़ रहा है। उनके विरोधी इस बार भी यह कह कर प्रचार कर रहे हैं कि तिवाड़ी जीत भी गए तो जनता के काम नहीं करा पाएंगे। ऐसे में अपना वोट खराब क्यों किया जाए। तिवाड़ी अपने पांच साल के संघर्ष को मुद्दा बना रहे हैं। सांगानेर में इस बार मतदाताओं का मानस स्पष्ट नहीं हुआ है। सभी दलों के प्रत्याशी अपनी अपनी जीत की गणित बैठाने में लगे हुए हैं।