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जयपुर । देश में इन दिनो डिजिटल लेन-देन बहुत बड़ी तादाद मे हो रहा है। नोटबंदी के बाद डिजिटल लेन-देन का दायरा बढ़ रहा है। जिससे आॅनलाईन ठगी की भी आशंका प्रबल है, और ऐसे ही कई मामले देश में आॅनलाइन के ठगी के सामने आए भी जिससे पुलिस को भी निपटने के लिए दिक्कत हो रही थी। पुलिस ने भी अब इससे निपटने के लिए अपनी कमर कस ली है। ऐसी वारदातों से निपटने के लिए जयपुर कमिश्नरेट की फोरेंसिक साइंस लेबोरेट्री (एफएसएल) ने अमेरिका इजरायल की कंपनियों के साथ मिलकर इस तरह का सेटअप लगाने की तैयारी की है, जिससे सिर्फ आॅनलाइन ठगी करने वालों को ट्रेस कर पकड़ा जा सकेगा, बल्कि पीड़ित सही समय पर सूचना देगा तो 10 मिनट में उसके खाते में पैसे वापस लाए जा सकेंगे। एफएएसएल ने इसके लिए एडवांस सेंटर साइबर हैल्प डेस्क का प्रस्ताव राज्य सरकार को भेजा है। इस पर नौ करोड़ रुपए खर्च होंगे।

सरकारके स्तर पर मंजूरी मिलते ही विदेशी कंपनियों से तकनीक, डाटा ट्रेनिंग के लिए एमओयू किया जाएगा। एफएसएल के डायरेक्टर बीबी अरोड़ा ने बताया कि नए सेटअप के लिए 9 करोड़ का प्रस्ताव सरकार को भेजा गया है। मंजूरी मिलते ही जरूरी हाईटेक मशीनरी और सॉफ्टवेयर खरीदे जाएंगे। साथ ही इजरायल अमेरिका की कंपनियों से तकनीक, डाटा ट्रेनिंग के लिए एमओयू किए जाएंगे। इस सेटअप में एडवांस सेंटर फॉर साइबर फोरेंसिक्स होगा जहां साइबर अपराधों की जांच होगी। इसके एक्सपर्ट्स को अहमदाबाद दिल्ली में भी ट्रेनिंग करवाई जाएगी। साथ ही साइबर हेल्प डेस्क भी बनेगी जो 24 घंटे लोगों के लिए खुली होगी। जयपुर की ही बात करें तो अकेले जून माह में ही आॅनलाइन ठगी के ऐसे 350 मामले सामने आए थे।
इजरायल और अमेरिका ठगी रोकने में सबसे आगे
दुनियामें आॅनलाइन आर्थिक अपराध रोकने के मामले में इजरायल और अमेरिकी कंपनियां सबसे आगे मानी जाती हैं। एक इजरायली कंपनी ऐसा सॉफ्टवेयर बना चुकी है जिसकी मदद से आॅनलाइन रिटेल शॉपिंग साइट्स अपने खरीददारों का आकलन कर पता लगा सकती है कि कहीं कोई व्यक्ति चोरी के क्रेडिट/डेबिट कार्ड से तो खरीददारी नहीं कर रहा है।

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