• राकेश कुमार शर्मा

जयपुर। राजस्थान पर्यटन विकास निगम (आरटीडीसी) की शाही रेल पैलेस ऑन व्हील्स और रॉयल राजस्थान ऑन व्हील्स में पर्यटक बुकिंग के नाम पर करीब चौदह करोड़ के घोटाले को अंजाम देने वाले अफसरों को बचाया जा रहा है। दागी अफसरों को बचाने का खेल भी ऐसा खेला जा रहा है, जिसमें ऊपरी तौर पर तो यह लगे कि घोटाले के दोषियों पर सख्त कार्रवाई की जा रही है, जबकि हो रहा है इससे उलट। आरटीडीसी प्रशासन ने इस बुकिंग घोटाले में लिप्त रहे दिल्ली कार्यालय के तत्कालीन महाप्रबंधक प्रमोद कुमार शर्मा को ही बर्खास्त किया है, जबकि मामले में दोषी ठहराए गए अन्य चार अफसरों को छोड़ दिया गया। प्रशासन की इस एकतरफा कार्रवाई पर भी सवाल उठ रहे हैं। बर्खास्तगी की यह कार्रवाई उस जांच रिपोर्ट पर की गई, जिसमें यह पाया गया कि टूर कंपनी पर्यटक बुकिंग की राशि जमा नहीं करवा पा रही थी और उसके देय चेक भी अनादरित होते गए। इसके बावजूद महाप्रबंधक प्रमोद शर्मा व अन्य अफसर कंपनी के पर्यटकों को शाही रेल में घूमाते रहे। राशि वसूलने की कोई कार्रवाई नहीं की और ना ही चेक अनादरण की सूचना मुख्यालय के अफसरों को दी गई। हालांकि पर्यटन और आरटीडीसी मुख्यालय में चर्चा है कि बर्खास्तगी की यह कार्रवाई तो दिखावा मात्र है, बल्कि इस एक कार्रवाई को दिखाकर आला अफसर इस घोटाले और इससे से जुड़े अन्य घोटालों को दबाने में लगे हुए हैं। आरटीडीसी प्रशासन दोषी अफसर को बर्खास्त करके भले ही वाहवाही लूट रहा हो, लेकिन डकारी जा चुकी करोड़ों रुपए की राशि कैसे वसूली जाए, इस पर आला अफसर चुप्पी साधे हुए हैं। सवाल उठ रहे हैं कि बर्खास्तगी से पहले प्रशासन को घोटाले राशि की रिकवरी के लिए दोषी अफसरों और टूर कंपनी लग्जरी हॉलीडेज कंपनी के कर्ताधर्ताओं पर आपराधिक और भ्रष्टाचार का मुकदमा दायर करवाया जाना चाहिए था। सिविल कोर्ट में रिकवरी सूट दायर होना चाहिए। इसके बाद ही प्रशासन को कोई एक्शन लेना था, लेकिन बर्खास्तगी करके दोषी अफसर को खुला छोड़ दिया। रिकवरी कैसे होगी, इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया। पुरातत्व विभाग में एक साल पहले हुए सवा करोड रुपए के घोटाले में भी आपराधिक मुकदमा दायर किया गया तो दोषी कर्मचारियों लिपिक मनीष माथुर, संदीप और एक अन्य कर्मचारी से रिकवरी हो पाई। रिकवरी राशि जमा कराने के बाद ही उन्हें जमानत मिल पाई। हालांकि अभी तक आपराधिक प्रकरण कोर्ट में लंबित है। घोटाला हुआ या नहीं, इस पर फैसला आना बाकी है। ऐसा ही सख्त कदम पर्यटन सचिव, आरटीडीसी एमडी और कार्यकारी निदेशक को उठाना चाहिए, तभी घोटाला राशि रिकवर हो सकेगी और दोषियों पर कार्रवाई संभव है, वरना घोटाला इतना बड़ा है कि सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वेतन-परिलाभ इस प्रकरण के दोषी अफसरों के लिए कोई मायने नहीं रखता है। चाहे वह मिले या नहीं। मुकदमा दर्ज करवाने और रिकवरी दावा दायर करने के लिए आरटीडीसी कर्मचारी यूनियन कई बार आला अफसरों के सामने लिखित शिकायत दे चुकी है। हालांकि उनकी मांग पर कभी कार्रवाई नहीं की गई। लेकिन अब उन्हें उम्मीद बंधी है कि प्रमुख शासन सचिव पर्यटन और सीएमडी आरटीडीसी पद पर आई रोली सिंह और आरटीडीसी एमडी पद पर आए आशुतोष इस मसले को देखेंगे और इस पर एक्शन भी लेंगे। दोषी अफसरों पर तो गाज गिरने की संभावना जता रहे हैं, साथ ही इस घोटाले को दबाने में लगे आरटीडीसी के दूसरे अफसरों की भी पोल सामने आ सकती है। गौरतलब है कि पूर्व एमडी विक्रम सिंह के निर्देश पर भी तत्कालीन प्रमुख शासन सचिव शैलेन्द्र अग्रवाल और एमडी अनिल चपलोत ने भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो में दोषी अफसरों पर मामला दर्ज नहीं करवाया और ना ही रिकवरी सूट की कार्रवाई की गई।

-तबादले के बाद आनन-फानन में कार्रवाई, दूसरे दागियों को बख्शा

एक ही अफसर को बर्खास्त करने और अन्य दागी अफसरों पर कार्रवाई नहीं करने के फैसले को लेकर आारटीडीसी के आला अफसरों की कार्रवाई कठघरे में आ गई है। साथ ही आनन-फानन में की गई बर्खास्तगी कार्रवाई भी सवालों के घेरे में है। 26 मई को प्रमुख शासन सचिव पर्यटन व सीएमडी आरटीडीसी शैलेन्द्र अग्रवाल का तबादला हो गया और इसी दिन आरटीडीसी एमडी का चार्ज संभाल रहे अनिल चपलोत के स्थान नगर निगम सीईओ आशुतोष के आदेश हो गए। इस आदेश के दूसरे दिन 27 मई को अनिल चपलोत ने इस मामले की जांच रिपोर्ट के आधार पर प्रमोद शर्मा को बर्खास्त कर दिया। इसके आदेश 29 मई को निकले। सामान्यतया तबादले आदेश के बाद अफसर बड़ा फैसला लेने से बचते हैं, लेकिन आनन-फानन में की गई इस कार्रवाई को संदेह के तौर पर देखा जा रहा है। यह संदेह इसलिए भी जताया जा रहा है कि जांच रिपोर्ट में पांच अफसरों को दोषी माना गया, जबकि एक अफसर पर ही सारा दोष मंढ कर उसे बर्खास्त कर दिया। चार अन्य अफसरों पर किसी तरह की कार्रवाई नहीं की गई। एक तरह से यह कार्रवाई दूसरे चारों दागी अफसरों को क्लीनचिट देना जैसा है। जांच रिपोर्ट में इन पर भी वहीं आरोप तय किए गए थे, जो बर्खास्त किए गए प्रमोद शर्मा पर लगाए गए थे। रिपोर्ट में दिल्ली सीआरओ कार्यालय के महाप्रबंधक प्रमोद शर्मा, लेखाकार मधु छुगानी, प्रबंधक अशोक सिंह चौहान व श्रीराम बंशीवाल, प्रशासनिक सहायक डी.डी.गौड (सेवानिवृत्त) पर आर्थिक आपराधिक गठजोड करके टूर कंपनी को फायदा पहुंचाने और आरटीडीसी को करोड़ों रुपए की चपत लगाने के आरोप हैं। गौरतलब है कि अनिल चपलोत से पहले एमडी रहे विक्रम सिंह के पास भी जांच रिपोर्ट आ गई थी। वे इस रिपोर्ट पर एक्शन लेने वाले भी थे, लेकिन इसी बीच उनका तबादला हो गया और उन्होंने मामले को नए एमडी के समक्ष रखने की लिखकर कोई कार्रवाई नहीं की। इससे उलट अब तबादला आदेश के दूसरे दिन अनिल चपलोत की कार्रवाई सवालों के घेरे में है। उधर, इस मामले में आरटीडीसी प्रशासन की ओर से लीपापोती किए जाने पर धरोहर बचाओ समिति के पदाधिकारी इस प्रकरण के दस्तावेज भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो को देकर आपराधिक मुकदमा दर्ज करवाएंगे। धरोहर बचाओ समिति के प्रधान संरक्षक एडवोकेट राजेश शर्मा का कहना है कि इस घोटाले के दस्तावेज और जांच रिपोर्ट आरटीआई से आ चुकी है, जल्द ही एसीबी में परिवाद दर्ज करवाया जाएगा।

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