जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार दिव्यांगजनों के कल्याण तथा उन्हें कुशल मानवीय संसाधन के रूप में तैयार करने की दिशा में लगातार संवेदनशील निर्णय कर रही है। उन्होंने कहा कि जनघोषणा पत्र में हमने दिव्यांगजनों को बीपीएल के समान सुविधाएं देने का वादा किया था। जल्द ही इस संबंध में उचित निर्णय किया जाएगा। राजकीय सेवाओं में दिव्यांगों के लिए आरक्षण तीन प्रतिशत से बढ़ाकर चार प्रतिशत करने तथा उनकी सम्मान पेंशन राशि में बढ़ोतरी के बाद दिव्यांगजनों को संबल देने के उद्देश्य से राज्य सरकार का यह एक और बड़ा मानवीय निर्णय होगा।
गहलोत मुख्यमंत्री निवास पर गुरूवार को अन्तरराष्ट्रीय दिव्यांगजन दिवस के उपलक्ष्य में राज्य स्तरीय दिव्यांगजन सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। वर्चुअल माध्यम से आयोजित इस कार्यक्रम में जुड़े जिला कलक्टरों ने विशिष्ट उपलब्धि अर्जित करने वाले दिव्यांगजनों तथा दिव्यांगों के कल्याण के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य कर रही संस्थाओं एवं उनके प्रतिनिधियों को जिलों में सम्मानित किया। साथ ही दिव्यांगजनों को सहायक उपकरण भी प्रदान किए गए।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एक समय था जब दिव्यांगजनों को उनकी शारीरिक निर्भरता के कारण हीन नजरिए से देखा जाता था। यहां तक कि कई बार उनके परिजन भी उन्हें बोझ समझते थे। संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 1992 से इस दिवस की शुरूआत करने के बाद इस सोच में सामाजिक बदलाव लाने की अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी शुरूआत हुई।
गहलोत ने कहा कि दिव्यांगजनों को सामाजिक सुरक्षा प्रदान करने की सोच के साथ वर्ष 2011-12 में हमारी पिछली सरकार के समय ही विशेष योग्यजन निदेशालय की स्थापना की गई थी। इस निदेशालय के द्वारा प्रदेश में दिव्यांगजनों के कल्याण के लिए अनेक योजनाओं एवं कार्यक्रमाें का संचालन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि हमारे दूसरे कार्यकाल में ही मूक-बधिर बच्चों के लिए कॉकलियर इम्प्लांट करने की योजना शुरू की गई। अब तक प्रदेश में 45 करोड़ रूपए से 949 मूक-बधिर बच्चों में कॉकलियर इम्प्लांट किया जा चुका है। इससे इन बच्चों के जीवन में नई खुशियां आई हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिव्यांगजनों को शिक्षा से जोड़ने, कौशल विकास कर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना सरकार की प्राथमिकता है। इसके लिए उन्हें विशेष उपकरण, छात्रवृत्ति, स्मार्टफोन, अनुदान एवं ऋण प्रदान करने जैसी सुविधाएं एवं सहायता दी जा रही हैं। इसके साथ ही उन्हें 750 रूपए से 1500 रूपए तक पेंशन मिल रही है। प्रदेश के 5 लाख 61 हजार दिव्यांगजनों को सम्मान पेंशन का लाभ मिल रहा है।

LEAVE A REPLY