जयपुर। आज निर्जला एकादशी है। यूं माह में दो मर्तबा एकादशी आती है। जब पूरे संयम व साधना के साथ भगवान विष्णु की आराधना की जाती है। फिर भी इन सभी में निर्जला एकादशी को श्रेष्ठ माना जाता है। कहा जाता है कि निर्जला एकादशी का व्रत करने से मनुष्य को स्वर्ग की प्राप्ति होती है। इस एक दिन का व्रत करने से सभी एकादशी का व्रत करने का पुण्य मनुष्य को प्राप्त होता है। पांडवों में बलशाली भीम को सबसे अधिक भूख लगती थी। भीम के लिए भूखे रहना एक कठिन कार्य था। यही वजह थी कि वह कोई उपवास नहीं रखता था। जबकि उसे अन्य भाई एकादशी का व्रत रखते थे। एक बार महर्षि व्यास पांडवों के पास आए तो भीम ने उनके समक्ष अपना प्रश्न रखा और पूछा कि उसके सभी भाई तो एकादशी का व्रत रखते हैं, जिससे उन्हें स्वर्ग की प्राप्ति हो जाएगी। लेकिन मैं भूखा नहीं रह सकता ऐसे में मुझे स्वर्ग की प्राप्ति भला कैसे होगी। इस पर महर्षि व्यास ने भीम को सलाह दी कि तुम्हे ज्येष्ठ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत रखना होगा। यही एक मात्र व्रत ऐसा है जिसके करने से तुम्हें अन्य कोई व्रत करने की जरुरत नहीं है। केवल इसी व्रत से स्वर्ग की प्राप्ति हो जाएगी। इस व्रत का नाम निर्जला है। इस व्रत के नाम के अनुसार निर्जल अर्थात जल का त्याग करना होता है। ज्येष्ठ मास की गर्मी में जहां पानी के बिना कुछ ही समय में मन व्याकुल हो उठता है। इसमें संयम पूर्वक व्रत को रखने से मनुष्य का कल्याण हो जाता है। जो लोग व्रत नहीं रखते उन्हें कुछ नियमों का पालन करना होता है, इससे उन्हें इस व्रत का पुण्य मिलता है। इसमें कुछ चीजें वर्जित रखनी होती है। मसलन चावल या चावल से बनी चीजों से दूरी बनाकर रखनी होती है। साथ ही लहसुन, प्याज, मांस, मछली, अंडा, सिगरेट, शराब से दूरी रखनी होती है। जबकि कुछ दान पुण्य कर पुण्य कमाया जा सकता है। जैसे व्रत में जल से भरा घड़ा, पंखा, फल आदि दान करना होता है।

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