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जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि शिक्षा एवं स्वास्थ्य, ये दो ऎसे पवित्र माध्यम हैं जिनसे सेवाभावना जुड़ी हुई है। उन्होंने कहा कि निजी स्कूल शिक्षा को कमाई का साधन नहीं बनाएं। शिक्षा के मंदिर ‘न लाभ-न हानि‘ के सिद्धांत पर संचालित होने चाहिए।
मुख्यमंत्री गुरूवार को शिक्षक दिवस के अवसर पर बिड़ला सभागार में राज्य स्तरीय शिक्षक सम्मान समारोह में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्य की बात है कि अंग्रेजी के नाम पर चल रहे कई निजी विद्यालयों में फीस इतनी अधिक है कि गरीब परिवार के बच्चे तो उनमें पढ़ने की बात सोच भी नहीं सकते। उन्होंने आह्वान किया कि निजी विद्यालय आगे बढ़कर निर्धन वर्ग के बच्चों को शिक्षा प्रदान करने में भूमिका निभाएं।

-राजीव गांधी पाठशालाओं से बदला शिक्षा का परिदृश्य

शिक्षक दिवस पर पूर्व राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन के योगदान का स्मरण करते हुए श्री गहलोत ने कहा कि शिक्षा के बिना जीवन में अंधेरा है। इसी सोच को ध्यान में रखते हुए मुख्यमंत्री के रूप में अपने पहले कार्यकाल में हमने 23 हजार राजीव गांधी स्वर्ण जयंती पाठशालाएं खोली। जिससे राज्य केे सुदूर गांव-ढ़ाणी तक शिक्षा का उजियारा पहुंचा। इन पाठशालाओं से शिक्षा का माहौल बना और राजस्थान में शिक्षा का परिदृश्य बदला। शिक्षा की अलख जगाने के लिए शिक्षा आपके द्वार कार्यक्रम भी चलाया।

आने वाला वक्त सरकारी स्कूलों का हो

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार राज्य में शिक्षा को बढ़ावा देने और शिक्षकों के सम्मान में अभिवृद्धि के लिए संकल्पित है। उन्होंने कहा कि हमारे सरकारी विद्यालयों के शिक्षकों में पर्याप्त क्षमता, दक्षता और कौशल है। उनके प्रयासों से विद्यालयों में दो लाख बच्चों का नामांकन बढ़ा है। हमने सभी जिलों में एक-एक अंग्रेजी माध्यम के स्कूल खोले हैं। उन्होंने शिक्षकों से अपील की कि वे पूरी लगन, प्रतिबद्धता और समर्पण के साथ काम कर सरकारी स्कूलों का स्तर इतना बेहतर बनाएं कि आने वाले वक्त में सरकारी स्कूल विद्यार्थियों की पहली पसंद हो।

सम्मानित शिक्षकों को रोडवेज बसों में निशुल्क यात्रा की घोषणा

मुख्यमंत्री ने राष्ट्रीय एवं राज्य स्तर पर सम्मानित शिक्षकों के लिए रोडवेज की बसों में निशुल्क यात्रा की सुविधा की घोषणा की। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009 में श्री गहलोत की सरकार के समय ही इन सम्मानित शिक्षकों के लिए रोडवेज बसों में यात्रा पर 50 प्रतिशत की छूट दी गई थी। उन्होंने सम्मानित शिक्षकों की ओर से आवास की मांग पर उचित कार्यवाही का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि इसके लिए वे एक सोसायटी बना लें, सरकार उन्हें आवश्यक सहयोग करेगी।

रातों-रात खड़ी नहीं हो गईं इसरो, आईआईटी, आईआईएम जैसी संस्थाएं

श्री गहलोत ने कहा कि इसरो, आईआईटी, आईआईएम तथा एम्स जैसी प्रतिष्ठित संस्थाएं रातों-रात खड़ी नहीं हो गईं। इनकी स्थापना के पीछे पं. नेहरू जैसे महान नेता की वैज्ञानिक एवं दूरदर्शी सोच थी। आधुनिक भारत के निर्माण के लिए उन्होंने इन संस्थाओं की नींव रखी, जिनके दम पर आज भारत विकास के इस मुकाम पर खड़ा है। अफसोस की बात है कि सोशल मीडिया के माध्यम से ऎसी महान शख्सियत के योगदान पर सवाल उठाए जा रहे हैं और युवा पीढ़ी को गुमराह किया जा रहा है।

आरटीआई को कमजोर नहीं होने देंगे

मुख्यमंत्री ने कहा कि यूपीए सरकार के समय आरटीआई, आरटीई, खाद्य सुरक्षा तथा मनरेगा के माध्यम से देश में अधिकार आधारित युग की शुरूआत हुई। उन्होंने इस बात पर दुख व्यक्त किया कि पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए बनाए गए सूचना के अधिकार कानून को आज कमजोर किया जा रहा है। श्री गहलोत ने कहा कि हमें गर्व है कि सूचना के अधिकार का सूत्रपात राजस्थान से हुआ था। हम इस कानून को कमजोर नहीं होने देंगे।

समारोह में शिक्षा राज्यमंत्री श्री गोविन्द सिंह डोटासरा ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा पहली बार 1101 शिक्षकों के सम्मान की पहल की जा रही है। जिनमें से 109 शिक्षकों का राज्य स्तर पर सम्मान किया गया है। जिला एवं ब्लॉक स्तर पर 2 अक्टूबर को शिक्षकों को सम्मानित किया जाएगा।

संस्कृत शिक्षा राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग ने कहा कि शिक्षक दिवस शैक्षिक चिन्तन का अवसर भी है। उन्होंने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य को लेकर मुख्यमंत्री बहुत संवेदनशील हैं। सरकार बनने से लेकर आज तक उन्होंने जनहित में कई महत्वपूर्ण निर्णय किए हैं।

उच्च शिक्षा राज्यमंत्री श्री भंवरसिंह भाटी ने कहा कि राज्य में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए मुख्यमंत्री ने करीब 50 नए महाविद्यालय खोलने और कॉलेज शिक्षकों के एक हजार रिक्त पदों पर भर्ती करने की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के बेरोजगार युवाओं के लिए बजट में 75 हजार नई भर्तियों की घोषणा की गई।

प्रमुख शासन सचिव स्कूल शिक्षा श्री आर.वेंकटेश्वरन ने स्वागत उद्बोधन दिया। माध्यमिक शिक्षा निदेशक श्री नथमल डिडेल ने आभार व्यक्त किया। इससे पहले मुख्यमंत्री एवं अन्य अतिथियों ने शिक्षा विभाग की पत्रिका ‘शिविरा‘ के विशेषांक और पुरस्कृत शिक्षकों की जानकारी से संबंधित पुस्तिका ‘प्रशस्ति‘ का विमोचन किया।

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