-बाल मुकुन्द ओझा
डिजिटल इंडिया की शुरुआत 2015 में हुई थी। भारत सरकार ने इसके तीन केंद्र बिंदु निर्मित किये थे। पहला टेक्नोलॉजी लोगों की लाइफ को बेहतर बनाए। दूसरा टेक्नोलॉजी अधिक अवसर उपलब्ध कराए और तीसरा ये सुलभ हो और इस पर किसी एक का एकाधिकार न हो। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का का विजन था। आज उसका नतीजा सब देख रहे हैं। टेक्नोलॉजी के अभाव में हमारी पिछली सरकारें पंगु बनी रहीं। एक प्रधानमंत्री ने तो यहां तक कहा था कि हम दिल्ली से 100 रुपए देते हैं तो लाभार्थी तक 15 रुपए ही पहुंचते हैं। आज डिजिटल टेक्नोलॉजी के जरिए 100 का100 प्रतिशत लाभार्थी को मिल जाता है। आज इंटरनेट ने बाउंड्रीज को खत्म कर दिया है। आज ऑटो रिक्शा चालक, सब्ज़ी बेचने वाले, चाय वाले और यहाँ तक कि कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करने वाले मज़दूर भी डिजिटल पेमेंट का इस्तेमाल कर रहे हैं। कहने का तात्पर्य है समाज का हर व्यक्ति कम से कम पैसे में इसका इस्तेमाल कर सकता है। इसे हमारे देश में डिजिटल क्रांति की और मजबूती से बढ़ते कदम भी कहा जा सकता है। भारत में डिजिटलाइजेशन एक नवाचार है। ग्रामीण क्षेत्र में मनरेगा जैसी योजना में श्रमिकों को अब सीधे बैंक खाते में भुगतान मिलता है। इससे पहले लेन-देन में हेराफेरी और भ्रष्टाचार की गुंजाइश ज्यादा रहती थी। छात्रवृत्ति में भी अब किसी प्रकार का घोटाला नहीं किया जा सकता। किसानों को खतौनी लेनी हो अथवा अन्य दस्तावेज, सब कुछ आसानी से मिल जाता है इसके लिए रजिस्टर नहीं खोजने पड़ते। देश में नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट में जबरदस्त इजाफा देखने को मिला। लोग कैश के बजाए डिजिटल मोड में बढ़चढ़ कर पेमेंट करने लगे है। यूपीआई पेमेंट को बढ़ावा मिलने लगा है। विशेषकर नोटबंदी के बाद भारत में लोगों पर डिजिटल पेमेंट
का ऐसा क्रेज चढ़ा दी देश डिजिटल पेमेंट करने वाले देशों की लिस्ट में टॉप पर शामिल हो गया। देश में यूपीआई ट्रांजैक्शन करने वालों का आंकड़ा दिन-ब-दिन तेजी से बढ़ता ही जा रहा है। आज डिजिटल ट्रांजैक्शन के कई मोड उपलब्ध हैं और इसका इस्तेमाल करने वाले लोगों की तादात में जबरदस्त इजाफा हो रहा है। एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में यूपीआई के जरिए लेनदेन में एक नई उपलब्धी हासिल हो गई है। कोरोना महामारी से डिजीटल लेन देन में तेजी से उछाल हो रहा है। भारत सरकार देश की अर्थव्यवस्था में डिजिटल लेन-देन का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध है और इस तरह वित्तीय क्षेत्र की गुणवत्ता और ताकत बढ़ाने के साथ-साथ नागरिकों के जीवन को आसान बनाने के लिए प्रतिबद्ध है। विशेषकर यूपीआई ने लेन-देन के तरीक़े में डिजिटल क्रांति ला दी है। अब लोगों के लिए तुरंत पैसा भेजना और प्राप्त करना काफ़ी आसान बना दिया है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक 2022 के अंत में डिजिटल वॉलेट का कुल लेन-देन क़रीब 126 लाख करोड़ रुपए का था। इस सिस्टम को भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम की ओर से भारतीय रिज़र्व बैंक और भारतीय बैंकों के सहयोग से विकसित किया गया है। पिछले तीन वर्षों में डिजिटल भुगतान लेनदेन की मात्रा में 178 प्रतिशत की तेजी से वृद्धि हुई है, जैसे भारत इंटरफेस फॉर मनी-यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस , तत्काल भुगतान सेवा (भीम-यूपीआई) जैसे कई प्लेटफॉर्म सामने आए हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार डिजिटल भुगतान लेनदेन में वित्तीय
वर्ष 2017-18 में 2,071 करोड़ लेनदेन के मुकाबले वित्त वर्ष 2021-22 में 8,840 करोड़ लेनदेन तक काफी वृद्धि हुई है। देश में डिजिटल भुगतान का चलन तेजी से बढ़ रहा है। 2016 में नोटबंदी हुई तो बड़े पैमाने पर लोगों ने डिजिटल पेमेंट का विकल्प चुना। कोविड-19 महामारी की वजह से इस कार्य में और तेजी आई है। इतनी तेज गति से बढ़ना काफी आश्चर्यजनक है। वित्तीय लेन देन में आसानी डिजिटल पेमेंट सिस्टम के लिए सबसे अच्छी बात है। आपको कैश ढोने, प्लास्टिक कार्ड, बैंक या एटीएम की लाइन में लगने की जरूरत नहीं है। खासतौर पर जब आप सफर में हों तो खर्च
करने का यह सेफ और इजी विकल्प है।

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