– रूसी राष्ट्रपति ने कहा हम चाहते हैं कि यूक्रेन से जंग जल्द खत्म हो
नई दिल्ली/ताशकंद. उज्बेकिस्तान के समरकंद में एससीओ की मीटिंग से इतर शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमिर पुतिन की मुलाकात हुई। दोनों के बीच करीब 50 मिनट बातचीत हुई। इस दौरान मोदी ने कहा, ‘आज भी दुनिया और खासकर विकासशील देशों के सामने फूड सिक्योरिटी, फ्यूल सिक्योरिटी और उर्वरक जैसी बड़ी समस्याएं हैं। हमें इनके लिए रास्ते निकालने होंगे। आपको भी इन्हें लेकर पहल करनी होगी।’ मोदी ने कहा मैं आपका और यूक्रेन का आभार व्यक्त करना चाहूंगा कि संकट के काल में शुरू में जब हमारे हजारों छात्र यूक्रेन में फंसे थे। आपकी और यूक्रेन की मदद से हम उन्हें निकाल पाए। मोदी ने कहा कि आज का युग जंग का नहीं है। हमने फोन पर कई बार इस बारे में बात भी की है कि लोकतंत्र कूटनीति और संवाद से चलता है। मोदी ने कहा कि हम पिछले कई दशकों से हर पल एक-दूसरे के साथ रहे हैं। आज एससीओ समिट में भी आपने भारत के लिए जो भावनाएं व्यक्त की हैं, उसके लिए मैं आपका आभारी हूं। पुतिन ने मोदी से कहा, ‘मैं यूक्रेन से जंग पर आपकी स्थिति और आपकी चिंताओं से वाकिफ हूं। हम चाहते हैं कि यह सब जल्द से जल्द खत्म हो। हम आपको वहां क्या हो रहा है, इसकी जानकारी देते रहेंगे।’ उन्होंने कहा कि भारत की तरफ से की गई फर्टिलाइजर की मांग को हम पूरा करेंगे। ऊर्जा के क्षेत्र में हम मदद करेंगे। भारत-रूस को वीजा फ्री टूरिज्म पर विचार करना चाहिए। इन मुलाकातों से पहले पीएम मोदी शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गेनाइजेशन यानी एससीओ की मीटिंग में शामिल हुए। इसमें एससीओ में सुधार और विस्तार, रीजनल सिक्योरिटी, सहयोग, कनेक्टिविटी मजबूत करने और व्यापार को बढ़ावा देने पर चर्चा हुई। इसके बाद मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और उज्बेकिस्तान के राष्ट्रपति शावकत मिर्जियोयेव के साथ द्विपक्षीय बैठकें कीं। मीटिंग में पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा भारत एससीओ सदस्यों के बीच अधिक सहयोग और विश्वास का समर्थन करता है। उन्होंने कहा- दुनिया कोविड महामारी से उबर रही है। यूक्रेन क्राइसिस और कोरोना की वजह से ग्लोबल सप्लाई चेन में कुछ दिक्कतें आई हैं। विश्व ऊर्जा और खाद्य संकट का सामना कर रहा है। एससीओ देशों के बीच सप्लाई चेन विकसित करने का प्रयास करना चाहिए। इसके लिए बेहतर कनेक्टिविटी की जरूरत है।
-यूक्रेन से जंग के बीच भारत ने रूस से कच्चा तेल खरीदा
यूक्रेन से जंग के दौरान भारत ने रूस से कच्चे तेल की खरीदारी की। भारत ने इस साल की पहली तिमाही में रूस से 6.6 लाख टन कच्चा तेल आयात किया। यह दूसरी तिमाही में बढ़कर 84.2 लाख टन हो गया। इस दौरान रूस ने प्रति बैरल 30 डॉलर का डिस्काउंट भी दिया। इसके चलते पहली तिमाही में एक टन कच्चे तेल के आयात की लागत करीब 790 डॉलर थी। दूसरी तिमाही में यह घटकर 740 डॉलर रह गई। इस तरह भारत को कुल 3,500 करोड़ रुपए का फायदा हुआ। इसी अवधि में अन्य स्रोतों से आयात की लागत बढ़ी थी। रूस से 2022 में सस्ते तेल का आयात 10 गुना बढ़ा है। कारोबार 11.5 अरब डॉलर तक पहुंच गया है। यह साल के आखिर तक रिकॉर्ड 13.6 अरब डॉलर तक पहुंचने की प्रबल संभावना है।

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