460 bank officers who changed the notes of 1000-500 by violating the RBI rules, are no longer good

– ऋण-माफी में गड़बड़ी की 20 ऑडिट दल करेंगे जांच
जयपुर। गत सरकार की फसली ऋण माफी योजना के तहत डूंगरपुर जिले की लैम्पस के लाभान्वित किसानों की सूची में गैर पात्र व्यक्तियों को सम्मिलित करने के तथ्य सामने आने पर सभी जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों की जांच खण्डीय अतिरिक्त रजिस्ट्रार के स्तर से करवाई जायेगी।

सहकारिता मंत्री उदय लाल आंजना ने बताया कि डूंगरपुर जिले में ऋण-माफी के दौरान हुई गड़बड़ी की जांच के लिये विभाग स्तर से 2-2 सहकारी ऑडिटरों की 20 टीमों का गठन किया जायेगा, जो 7 दिवस में जांच कर रिपोर्ट रजिस्ट्रार को देंगे। उन्होंने बताया कि डीएमआर (डिजिटल मेम्बर रजिस्टर) के माध्यम से ही किसानों को भुगतान की व्यवस्था को लागू किया जायेगा ताकि गड़बड़ी की संभावनाओं को पूरी तरह समाप्त किया जा सके। उन्होंने बताया कि जिन बैंकों की शाखाओं के डीएमआर तैयार नहीं हैं उन्हें प्राथमिकता से पूर्ण किया जाये ताकि किसानों को किसी प्रकार की परेशानी भी न हो।

रजिस्ट्रार, सहकारिता डॉ. नीरज के. पवन ने सहकारिता मंत्री के निर्देश पर सहकार भवन में खण्डीय अतिरिक्त रजिस्ट्रारों की बैठक ली। उन्होंने कहा कि सभी जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों में किसानों को फसली ऋण के भुगतान की पारदर्शी एवं पुख्ता व्यवस्था स्थापित करने के लिये सभी ऋणी किसानों के खातों के डेटा का संधारण किया जायेगा तथा उन्हें आधार संख्या से लिंक भी करवाया जायेगा।

-पैक्स एवं बैंक शाखाओं का 31 मार्च तक होगा निरीक्षण
रजिस्ट्रार ने जिला केन्द्रीय सहकारी बैंकों के प्रबंध निदेशक एवं अधिकारियों को शाखाओं एवं पैक्स के निरीक्षण 31 मार्च तक पूर्ण कर कार्यवाही करने के निर्देश दिये ताकि किसी प्रकार की अनियमितता या गबन की जानकारी तुरन्त हो सके तथा संबंधित के विरूद्ध तत्काल कार्यवाही की जा सके। इसमें किसी प्रकार की कोताही नहीं बरती जाये। उन्होंने कहा कि प्रतिस्पद्र्धा के माहौल में सहकारी बैंकों को कॉमर्शियल बैंकों की तरह कार्य करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि बैंकों को अपनी डिपोजिट बढ़ाने के लिये प्रयास करने की आवश्यकता है। इसके लिये उनके स्तर से सभी जिला कलक्टर को पत्र भी लिखा जा रहा है।
डॉ. पवन ने कहा कि बैंक सदस्य किसानों को अधिक से अधिक ऋण उपलब्ध करायें ताकि किसानों के खेती बाड़ी के कार्य प्रभावित न हों। उन्होंने कहा कि जिन बैंकों में ऋण असंतुलन है वहां की पैक्स में खर्चों पर नियंत्रण रखते हुये आय के संसाधन बढ़ाने के लिये प्रयास किये जायें। उन्होंने कहा कि सभी सहकारी संस्थाओं को स्थानीय मांग एवं आवश्यकता के अनुसार नये व्यवसाय शुरू करने चाहिये ताकि स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसरों में वृद्धि के साथ-साथ संस्था की आय में भी बढ़ोतरी हो सके।
उन्होंने बताया कि फसली ऋण लेने वाले किसानों के दुर्घटना बीमा के पेंडिंग क्लेम के शीघ्र निस्तारण के लिये बीमा कम्पनी के प्रतिनिधियों के साथ राज्य स्तरीय समिति समीक्षा करेगी ताकि ऎसे बीमा क्लेम की पेंडेंसी कम हो सके।
बैठक में अतिरिक्त रजिस्ट्रार (प्रथम) जी.एल. स्वामी, अतिरिक्त रजिस्ट्रार उदयपुर पी.पी. माण्डोत, अतिरिक्त रजिस्ट्रार (प्रोसेसिंग) पंकज अग्रवाल, अतिरिक्त रजिस्ट्रार खण्ड जयपुर श्याम लाल मीणा, अतिरिक्त रजिस्ट्रार भरतपुर खण्ड एम.पी. यादव, अतिरिक्त रजिस्ट्रार खण्ड अजमेर जी.एल. गुप्ता, अतिरिक्त रजिस्ट्रार खण्ड बीकानेर दिनेश कुमार बम्ब, कोटा सीसीबी के प्रबंध निदेशक बलविन्दर सिंह गिल, अतिरिक्त रजिस्ट्रार (विधि) संदीप कुमार खण्डेलवाल, संयुक्त अंकेक्षक जनरल शोभिता शर्मा, संयुक्त रजिस्ट्रार (हाउसिंग) सुरभि शर्मा, एमओ आईसीडीपी जितेन्द्र शर्मा, संयुक्त रजिस्ट्रार (नियम) कुमार विवेकानन्द, अतिरिक्त रजिस्ट्रार (मासवि) शिल्पी पाण्डे, संयुक्त रजिस्ट्रार (मार्केटिंग) सोनल माथुर, तकनीकी सहायक रजिस्ट्रार कार्तिकेय मिश्रा, सहायक रजिस्ट्रार (मोनेटरिंग) पंकज भानु सिंह, संयुक्त रजिस्ट्रार (आयोजना) कृति शर्मा, उप रजिस्ट्रार (वीमन सैल) ज्योति गुप्ता, सहायक रजिस्ट्रार (बैंकिंग) रजनी गुप्ता सहित संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

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