Three divorce

नयी दिल्ली : आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने आज लोकसभा में तीन तलाक के खिलाफ विधेयक पारित किये जाने की निन्दा करते हुए कहा कि वह इस विधेयक में संशोधन कराने या उसे रद्द कराने के लिए सभी लोकतांत्रिक तरीके अपनाएगा।  बोर्ड के प्रवक्ता मौलाना खलीलउर्रहमान सज्जाद नोमानी ने ‘भाषा‘ से बातचीत में कहा कि बोर्ड को इस बात का बहुत अफसोस है कि तीन तलाक सम्बन्धी विधेयक को इतनी जल्दबाजी में पेश किया गया। इस जल्दबाजी की कोई वजह समझ में नहीं आती।

उन्होंने कहा कि आज लोकसभा में इस विधेयक पर चर्चा के दौरान कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कई बार बोर्ड को उद्धत किया। भाजपा की एक सांसद ने बोर्ड अध्यक्ष राबे हसनी नदवी द्वारा इस विधेयक को रोकने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को लिखे पत्र के एक-एक बिंदु का जवाब देने की कोशिश की। जाहिर है कि सरकार ने बोर्ड को एक प्रतिनिधि संगठन माना है। ऐसे में उसका हक था कि उसके अध्यक्ष के खत के सम्मान में विधेयक को चंद दिन के लिये रोक दिया जाता।

मौलाना नोमानी ने कहा कि आज जिस तरह इस विधेयक को जल्दबाजी में पेश और पारित किया गया उसकी हम निन्दा करते हैं और उसे गैर जरूरी और ‘‘गैर दानिशमंदाना’’ :नासमझीभरा: करार देते हैं। उन्होंने तीन तलाक सम्बन्धी विधेयक का विरोध करने या उसमें संशोधन की हिमायत करने वाले सांसदों का शुक्रिया अदा किया। इस बारे में बोर्ड के अगले कदम के बारे में पूछे जाने पर नोमानी ने कहा कि बोर्ड अभी हालात पर बारीकी से नजर रख रहा है। उन्होंने कहा कि बोर्ड अभी अदालत जाने के विषय में कोई विचार नहीं कर रहा है और इस विधेयक में संशोधन कराने या उसे रद्द कराने के लिए जो भी लोकतांत्रिक तरीके होंगे वे अपनाये जाएंगे।

इस बीच, आल इण्डिया मुस्लिम वूमेन पर्सनल ला बोर्ड की अध्यक्ष शाइस्ता अम्बर ने संसद में विधेयक पेश किये जाने का स्वागत करते हुए कहा कि इससे महिलाओं में एक नयी उम्मीद जगी है। तीन तलाक एक अभिशाप है और इसके खात्मे के लिये उठाया जाने वाला हर कदम सराहनीय है। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि अगर प्रस्तावित कानून कुरान शरीफ की रोशनी के अनुरूप नहीं हुआ तो वह उन्हें स्वीकार नहीं होगा। इधर, उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर तीन तलाक देने वालों को तीन साल के बजाय 10 साल कैद की सजा दिलाने की मांग की है।

रिजवी ने यहां एक बयान में कहा कि आल इण्डिया मुस्लिम पर्सनल ला बोर्ड एक बार में तीन तलाक़ को सही मानते हुए इससे सम्बन्धित विधेयक का विरोध कर रहा है, जोकि खेदनीय है। एक बार में तीन बार तलाक़ कह देने से तलाक़ हो जाना शरई मामला नहीं है। यह महिलाओं के प्रति अत्याचार तथा शोषण का मामला है, जोकि अपराध की श्रेणी में आता है। इसे आपराधिक कृत्य मानते हुए भारतीय दण्ड संहिता के तहत दण्डनीय अपराध होना चाहिए।

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