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जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने सूचना के अधिकार अधिनियम के तहत हाईकोर्ट प्रशासन के खिलाफ दिए सूचना आयोग के आदेश को रद्द कर दिया है। इसके साथ ही अदालत ने आयोग को निर्देश दिए हैं कि वह प्रकरण की पुन: सुनवाई करे। न्यायाधीश मनीष भंडारी और न्यायाधीश डीसी सोमानी की खंडपीठ ने यह आदेश हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल और डिप्टी रजिस्ट्रार न्यायिक की ओर से दायर याचिका का निपटारा करते हुए दिए। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि आयोग ने सरकार के नियमों के आधार पर अपील तय कर गलती की है। इस संबंध में हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से दिए आदेश पर आयोग ने विचार नहीं किया है।

दीपचंद दुग्गड ने 22 अगस्त 2007 को विधि विभाग में आरटीआई दायर कर करणीसिंह राठौड व भगवती प्रसाद की ओर से दिए निर्णयों की प्रतियां मांगी। विधि विभाग ने आरटीआई प्रार्थना पत्र को हाईकोर्ट प्रशासन को भिजवा दिया। हाईकोर्ट के प्रथम अपीलीय अधिकारी ने 3 मई 2008 को यह कहते हुए अपील खारिज कर दी कि अपील के साथ सौ रुपए का स्टाम्प नहीं लगाया गया है। वहीं दूसरी तरफ हाईकोर्ट प्रशासन ने 22 अक्टूबर 2007 को आरटीआई के नियम बना लिए। दुग्गड की ओर से 3 मई के आदेश के खिलाफ सूचना आयोग में अपील की गई। इसके साथ ही एक अन्य प्रार्थना पत्र हाईकोर्ट में भी पेश किया गया। इस प्रार्थना पत्र को हाईकोर्ट ने 26 फरवरी 2008 को दुग्गड के खिलाफ तय कर दिया। वहीं दूसरी तरफ आयोग ने 3 नवंबर 2008 को आदेश जारी कर 3 मई 2008 के आदेश को रद्द कर दिया। इसके खिलाफ हाईकोर्ट प्रशासन की ओर से याचिका दायर की चुनौती दी गई। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ आयोग का आदेश रद्द करते हुए प्रकरण की पुन: सुनवाई के आदेश दिए हैं।

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