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जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को कहा है कि सरकारी कर्मचारी के दूसरे जीवन साथी से एक संतान हैं और यह तीसरी संतान होती है तो उसकी पदोन्नति ना रोकी जाए। अदालत ने इस संबंध में राज्य सरकार की ओर से 20 नवंबर 2015 को जारी किए सर्कुलर का लाभ सभी याचिकाकर्ताओं को देने के आदेश दिए हैं। इसके साथ ही अदालत ने याचिकाकर्ताओं की पदोन्नति पर विचार करने को कहा है।

न्यायाधीश मनीष भंडारी और न्यायाधीश डीसी सोमानी की खंडपीठ ने यह आदेश जयराम मीणा व अन्य की ओर से दायर याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए दिए। याचिकाओं में कहा गया कि राज्य सरकार ने 1 जून 2002 के बाद तीसरी संतान पैदा होने पर सरकारी कर्मचारियों को पदोन्नत नहीं करने का प्रावधान किया था। वहीं 20 नवंबर 2015 को सर्कुलर जारी कर प्रावधान किया कि यदि कर्मचारी के दो संतान हैं और दूसरे जीवन साथी से एक और संतान होती है तो उसकी पदोन्नति नहीं रोकी जाए।

इस प्रावधान को चुनौती देते हुए कहा गया कि सर्कुलर के तहत 20 नवंबर 2015 के बाद ही लाभ दिया गया है। ऐसे में जिनके इस तिथि से पहले दूसरे जीवन साथी से तीसरी संतान हुई है, उन्हें लाभ नहीं मिल रहा है। इसलिए या तो इस सर्कुलर के तहत सभी को लाभ दिया या फिर किसी को ऐसा लाभ नहीं मिले। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने सर्कुलर का लाभ पूर्व में दूसरे जीवन साथी से तीसरी संतान होने के मामले में देने के आदेश दिए हैं।

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