-पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी की सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के पास 50 करोड़ रुपए नगद मिलने के बाद ईडी इस कैश का सोर्स पता करने में जुटी
पश्चिम बंगाल. पश्चिम बंगाल के पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी की सहयोगी अर्पिता मुखर्जी के पास 50 करोड़ रुपए नगद मिलने के बाद ईडी इस कैश का सोर्स पता करने में जुटी है। इसी बीच भास्कर के हाथ तीन अलग-अलग लिस्ट लगी हैं। एक लिस्ट किसी एजेंट की है, इसमें जिन लोगों से रिश्वत ली गई है, उनकी डिटेल है। दूसरी लिस्ट टीएमसी के विधायकों से जुड़ी है। इसमें मंत्रियों ने जिन कैंडिडेट्स का नाम नौकरी के लिए रिकमंड किया था, उसकी डिटेल है। तीसरी लिस्ट ऐसे कैंडिडेट्स की है, जो मैरिट में थे ही नहीं, लेकिन अब नौकरी में हैं। जो मैरिट में थे, वो नौकरी पाने के लिए सड़क पर संघर्ष कर रहे हैं। ये सभी कागज अलग-अलग वकीलों के जरिए हाईकोर्ट के पास भी पहुंच गए हैं।
पश्चिम बंगाल में टीचर्स रिक्रूटमेंट का अभी जो बवाल चल रहा है, वो 2014 की एग्जाम का है। गड़बड़ियां कई तरीकों से हुईं। जैसे बिना मैरिट वालों को नौकरी दे दी गई। जो 6th पास हैं, उन्हें टीचर बना दिया गया। जिन्होंने एग्जाम ही नहीं दिया, उनका भी सिलेक्शन हो गया। हमें टीएमसी नेता मुकुल रॉय के बेटे सुभ्रांशु रॉय, टीएमसी के स्टेट सेक्रेटरी असीम माझी और अखिल गिरी के साइन किए हुए अलग-अलग लेटर मिले हैं। यह लेटर 2013 के हैं। इसे कैंडिडेट्स का नाम और रोल नंबर लिखकर रिक्रूटमेंट करने वाले बोर्ड को दिया गया था।
इस मामले में पिटीशन लगाने वाले वकील तरुण ज्योति तिवारी ने बताया कि मैंने यह लिस्ट हाईकोर्ट में भी जमा कर दी है। इससे यह बात साबित होती है कि टीचर्स रिक्रूटमेंट में पैसा टीएमसी के कई नेताओं के जरिए तत्कालीन शिक्षा मंत्री तक पहुंच रहा था। 50 करोड़ का जो अमाउंट मिला है, वो बहुत छोटा है। जब यह पूरा स्कैम सामने आएगा तो अमाउंट 5 हजार करोड़ तक पहुंचेगा, क्योंकि एक कैंडिडेट से 18-20 लाख रुपए लिए गए हैं। कई जगह से पैसा आया है। और यह सब पिछले 10 साल से चल रहा है।’एडवोकेट तिवारी के जरिए ही हमें एक अन्य लिस्ट भी मिली है। यह किसी एजेंट की है। इसमें कुल 30 कैंडिडेट्स का नाम लिखा है। उनके मोबाइल नंबर और किससे कितना पैसा लिया गया, इसकी डिटेल है। साथ ही जिन कैंडिडेट्स को रुपए वापिस किए गए, उसकी भी डिटेल है। यह लिस्ट भी हाईकोर्ट में जमा की गई है।
रिश्वत देकर दी गई नौकरियों के खिलाफ कोलकाता की मेयो रोड के कॉर्नर पर मैरिट लिस्ट में आने वाले कैंडिडेट्स पिछले 503 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं। यह लोग अलग-अलग शिफ्ट में प्रोटेस्ट करते हैं। प्रोटेस्ट की परमीशन इन्हें कोर्ट से मिली है।
प्रोटेस्ट में शामिल संगीता नाग ने बताया कि रिजल्ट आने के बाद बिना मैरिट लिस्ट जारी किए ही रिक्रूटमेंट कर दिए गए। हमने जब प्रोटेस्ट किया, तब लिस्ट जारी हुई। लिस्ट जारी होने के बाद ही यह पता चला कि जिनका मैरिट लिस्ट में नाम ही नहीं है, उनका अलग-अलग स्कूलों में रिक्रूटमेंट हो रहा है और उन्होंने 15 से 20 लाख रुपए तक की रिश्वत दी है। गोपालपुर पॉपुलर एकेडमी में एक टीचर का रिक्रूटमेंट हुआ। हमने आरटीआई के रिक्रूट होने वाले कैंडिडेट की डिटेल निकाली तो पता चला कि उसका नाम तो आरटीआई में है ही नहीं। ऐसे हमें बहुत सारे कैंडिडेट्स मिले जो लिस्ट में नहीं हैं, लेकिन उन्हें नौकरी मिल गई। इसके बाद ही हम लोगों ने प्रोटेस्ट शुरू कर दिया। चुनाव के टाइम हमें सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि चुनाव के बाद हम आपकी प्रॉब्लम सॉल्व कर देंगे अभी प्रोटेस्ट रोक दो तो हम लोग हट गए। लेकिन आज तक इस मामले में कुछ भी नहीं हुआ।
– पार्थ चटर्जी बोले, छापे में मिले पैसे मेरे नहीं
शिक्षक भर्ती घोटाले में मुख्य आरोपी पार्थ चटर्जी को ईडी की टीम रविवार को चौथी बार मेडिकल जांच के लिए ईएसआई अस्पताल लेकर पहुंची। जब पार्थ गाड़ी से उतरे तो मीडिया ने उन्हें घेर लिया और पूछा कि इस पूरी साजिश के पीछे किसका हाथ है। जवाब में पार्थ ने कहा, समय आने पर आपको पता चल जाएगा…पैसा मेरा नहीं है। दूसरी तरफ, ईडी के अधिकारियों ने अर्पिता मुखर्जी के आठ बैंक खातों में 8 करोड़ के लेनदेन का पता लगाया है। ईडी ने इन खातों को जांच की शुरुआत में ही फ्रीज कर दिया था। ईडी की जांच पूरी होने के बाद जल्द ही इस मामले में सीबीआई और आयकर विभाग की भी एंट्री हो सकती है। आयकर विभाग बेनामी संपत्ति के मामले में पार्थ चटर्जी और अर्पिता मुखर्जी से सवाल-जवाब कर सकता है। यह भी खबर है कि जो 4 कारें गायब हैं, उनका अभी तक पता नहीं लगा है। ईडी के अधिकारियों को शक है कि इन कारों में रुपए भरकर भेजे गए।

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