labour law

– 28 अक्टूबर को आधे दिन का करेंगे कार्य बहिष्कार
जयपुर। राजस्थान के सात लाख कर्मचारियों को सातवें वेतनमान को लागू करने, एरियर व अन्य परिलाभ का भुगतान करने समेत पन्द्रह सूत्री मांगों को ेलेकर प्रदेश के प्रमुख कर्मचारी संगठन के कर्मचारियों ने राज्य सरकार के खिलाफ आंदोलन का आगाज शुरु कर दिया है। इन मांगों के संबंध में अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ के 42 घटक संगठनों के सैकडों कर्मचारियों ने महासंघ के प्रदेश अध्यक्ष आयुदानसिंह कविया के नेतृत्व में शहीद स्मारक पर धरना-प्रदर्शन करके आन्दोलन का आगाज कर दिया है। आन्दोलन के दूसरे चरण में 28 अक्टूबर को पूरे प्रदेश में कर्मचारी आधे दिन का कार्य बहिष्कार कर सरकार पर दबाव बनाएंगे। धरना-प्रदर्शन के दौरान आयोजित सभा में कर्मचारी नेताओं ने राज्य सरकार पर कर्मचारियों की मांगो पर गम्भीर नहीं होने का आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार ने तीन साल के दौरान छठे वेतनमान की विसंगतियों का निपटारा करने के लिए कोई पहल नही की। वहीं राज्य के विभिन्न महकमों में 3 लाख से अधिक विभिन्न संवर्ग के रिक्त पदों को भरने, ठेका-कर्मी, संविदा कर्मचारी, विधार्थी मित्र, पैरा टीचर्स, आंगनबाडी कार्यकर्ताओं को नियमित करने के अपने चुनावी वायदों से पीछे हट गई है। राज्य सरकार ने पिछली अशोक गहलोत सरकार के कार्यकाल में 90 हजार विभिन्न संवर्ग की भर्तियों को समाप्त करते हुए राज्य के 5 लाख बेरोजगारों के हकों पर कुठाराघात किया है, साथ ही परीक्षा के नाम पर लाखों-करोडों की राशि वापस तक नहीं कर बेरोजगारों को आर्थिक हानि पहुंचाई है। भाजपा सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का निजीकरण करने के उद्देश्य से पी.पी.पी. मॉडल जबरदस्ती थोपने जा रही है। आम जनता से जुडे बिजली, पानी, परिवहन क्षेत्र, को पूरी तरीके से निजी क्षेत्र में देने को आमादा है, वहीं नये भर्ती नियम 2004 में परिवीक्षाकाल समाप्त करने के राजस्थान उच्च न्यायालय के निर्णयों को लागू नहीं कर कर्मचारियों को आर्थिक हानि पहुंचा रही है तथा उनके संवैधानिक अधिकारों का हनन कर रही है। महासंघ के महामंत्री तेजसिंह राठौड ने बताया कि केरल, तमिलनाडू सहित कई सरकारों ने नये पेन्शन नियम 2004 को वापस लेने का निर्णय कर लिया है, वही राज्य सरकार इस महत्वपूर्ण निर्णय पर मौन है। महामंत्री ने राज्यकर्मियों के वर्ष 2014-15 के बोनस एरियर के 200 करोड को हजम करने का आरोप लगाते हुए कहा कि राज्य सरकार ने वर्ष 2016-17 का बजट प्रस्तुत करते हुए 7वें वेतनमान आयोग का परिलाभ देने हेतु एक कमेटी गठन करने का वायदा किया था परन्तु 7 माह की अवधि में पूरी होने पर भी चुप बैठी है। कर्मचारी नेताओं ने राज्य सरकार को आगाह किया है कि कर्मचारियों के मौन को कमजोरी समझने की भूल नहीं करें।

-आर-पार की लड़ाई का ऐलान

अखिल राजस्थान राज्य कर्मचारी संयुक्त महासंघ ने आर-पार की लडाई लडने का निर्णय किया है। महासंघ ने निर्णय लिया है कि आंदोलन के अग्रिम चरण की घोषणा 6 नवम्बर 2016 को की जावेगी। महासंघ के प्रवक्ता नरेन्द्र सिंह ने बताया कि धरने को महासंघ के प्रमुख नेताओं के.के. गुप्ता, मूलचन्द गुर्जर, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष ओम प्रकाश शर्मा, मदन सिंह, विश्वम्भर दयाल शर्मा, श्याम सिंह, रामनिवास चैधरी, नरेन्द्र पारीक, पूनम चन्द, महावीर सिहाग, मुरारीलाल पारीक, सोहन डारा, केशाराम चैधरी, महावीर प्रसाद शर्मा, योगेन्द्र सिंह शेखावत, प्रहलाद मीणा, मदन मोहन मिश्रा, दामोदर शर्मा, आमोद सक्सेना, बंशीलाल राजावत, छोटेलाल बुनकर, मोहम्मद मुस्तफ ा, शमीम कुरेशी, केदार शर्मा, उदय सिंह आदि ने संबोधित करते हुए राज्य सरकार को चेताया है कि समय रहते कर्मचारी मांगों को समाधान कर दे, अन्यथा आंदोलन तेज किया जाएगा।

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