Supreme Court

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने आपराधिक अतीत वाले पांच व्यक्तियों के रोजगार आवेदनों को खारिज करने के पड़ताल समिति के फैसले पर मुहर लगाते हुए कहा है कि बेदाग ‘चरित्र एवं ईमानदार’ व्यक्तियों को ही पुलिस सेवा में भर्ती किया जाना चाहिए।आपराधिक पृष्ठभूमि वाले पांच व्यक्तियों ने चंडीगढ़ पुलिस बल में कांस्टेबल के पदों के लिए आवेदन दिया था लेकिन पड़ताल समिति ने उनके आवेदनों को खारिज कर दिया था। बाद में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने समिति के फैसले को दरकिनार कर दिया और तत्पश्चात पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय ने कैट के निर्णय पर मुहर लगा दी।उच्च न्यायालय ने कांस्टेबल पदों के उम्मीदवारों को राहत प्रदान की थी और संबंधित प्रशासन को उनकी उम्मीदवारी पर गौर करने का निर्देश दिया था।

उच्च न्यायालय के फैसले को दरकिनार करते हुए न्यायमूर्ति आर बानुमति और न्यायमूर्ति यू यू ललित की पीठ ने कहा, ‘‘यह स्पष्ट है कि पुलिस सेवा में भर्ती किया जाने वाला उम्मीदवार बेदाग चरित्र एवं ईमानदार होना चाहिए। आपराधिक पृष्ठभूमि वाला कोई भी व्यक्ति इस श्रेणी के लिए उपयुक्त नहीं होगा।’’ पीठ ने कहा, ‘‘यदि वह आरोपमुक्त भी कर दिया जाता है या उसे छोड़ दिया जाता है तो यह नहीं माना जा सकता कि वह सम्मानजनक ढंग से दोषमुक्त हुआ या पूरी तरह बरी कर दिया गया। जांच समिति का फैसला अंतिम माना जाना चाहिए बशर्ते जबतक वह दुर्भावनापूर्ण नहीं दिखे।

समिति को भी उस पर व्यक्त किये गये विश्वास पर खरा उतरना चाहिए तथा उसे पूरी निष्पक्षता के साथ उम्मीदवार की जांच करनी चाहिए।’’ शीर्ष अदालत ने अपने फैसले में इसी तरह के दो मामलों में अपने निष्कर्ष का जिक्र किया और कहा कि उम्मीदवारों की पड़ताल का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि केवल असंदिग्ध चरित्र वाले लोग की पुलिस बल में शामिल हों।उम्मीदवारों ने मार्च, 2010 में चंडीगढ़ पुलिस में कांस्टेबल के पदों के लिए आवेदन दिया था और आपराधिक मामलो में अपनी संलिप्तता का पूरा ब्योरा दिया था।

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