-दिनेश चंद्र शर्मा

जयपुर। सिरदर्द एक आम समस्या बन गई है। बदलती जीवन शैली में थोड़ी की थकान पर सिरदर्द महसूस होने लगता है। हम भी थोड़ी देर आराम कर, मलहम लगाकर या पेनकिलर खाकर आमतौर पर दर्द से राहत पाने के प्रयास करते है। कई दफा ये कोशिश असर नहीं करती और दर्द बार-बार होता है या लगातार बना रहता है। यदि ऐसा है तो सतर्क होने की जरूरत है। ये संकेत माइग्रेन के हो सकते है और यदि माइग्रेन लगातर रहता है तो ब्रेन स्ट्रोक सरीखी गंभीर बीमारी की चपेट में आ सकते है। एक रिसर्च में सामने आया है कि माइग्रेन पीडि़त व्यक्ति में ब्रेन स्ट्रॉक का खतरा अन्य लोगों की तुलना दोगुना होता है।
भारत में लगभग तीन चौथाई लोग माइग्रेन की चपेट में है और यह आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। योग्य चिकित्सक के परामर्श की सलाह पर लिए उपचार से ये बीमारी ठीक हो सकती है। माइग्रेन किसी भी उम्र में हो सकता है। डॉक्टरों की मानें तो सिरदर्द में लगातार दवाई खाने से भी परेशानी बढ़ जाती है। इसलिए कभी मनमर्जी से दवाएं नहीं लेनी चाहिए। माइग्रेन की स्थिति में सिर के एक हिस्से में रह-रह कर चुभन भरा दर्द होता है। ये दर्द कुछ घंटों से लेकर तीन दिन तक बना रहता है। इसमें सिरदर्द के साथ-साथ गैस्टिक, जी मिचलाने, उल्टी, शरीर में कमजोरी, आंखों के सामने धुंधलापन जैसी समस्याएं भी हो सकती हैं।
न्यूरोलॉजी संबंधित बीमारियों के मामले में समय पर ध्यान नहीं दिया जाना घातक साबित सकता है। माइग्रेन मूल रूप से न्यूरोलॉजिकल समस्या है। तनाव की स्थिति में गर्दन की मांसपेशियां और मस्तिष्क का रक्त संचरण प्रभावित होता है। गर्दन की मांसपेशी में सिकुडन के कारण माइग्रेन हो सकता है। रक्त संचरण रूक जाए तो मस्तिष्क में ऑक्सीजन की कमी हो जाती है तथा कोशिकाएं मृत हो जाती है। इससे खून का थक्का बन जाता है या फिर ब्लीडिंग होने लगती है। ऐसे में मस्तिष्क को रक्त पहुंचाने वाली नलिकाएं फट जाती है जिसे ब्रेन स्ट्रोक कहते है। ब्रेन स्ट्रोक के कारण लकवा, याददास्त जाना, बोलने में असमर्थता जैसी स्थितियां आ सकती हैं। वैज्ञानिक शोधों से पता चलता है कि माइग्रेन से पीडि़त लोगों में स्ट्रोक का खतरा अन्य लोगों की तुलना में दोगुना होता है।
ध्यान रखें ये बातें
लम्बे समय तक रहने वाले सरदर्द साइनस, आंखों में परेशानी, दांतों में परेशानी, इन्फेक्शन या एलर्जी से हो सकता हैं। यदि माइग्रेन है तो नियमित रुप से डॉक्टर द्वारा बताई गई दवाएं लेनी चाहिए। माइग्रेन पहचानने के लिए कोई क्लिनिकल टेस्ट नहीं होता और ना ही इनसे बचने के लिए कोई एक रेमेडी काम करती है। ऐसी स्थिति में दवा की बजाय प्राकृतिक उपचार जैसे योगा और मेडिटेशन की मदद से फिट रहने का प्रयास करना चाहिए।तनाव से बचे और सकारात्मक सोच रखे। नेगेटिव सोच तनाव बढ़ता है। इसके लिए समय का सही प्रयोग करने की आदत डाले। ऐसा करके आप ना केवल अपना काम ठीक प्रकार से कर सकेंगे, बल्कि काम के कारण होने वाले तनाव से भी मुक्ति पा सकेंगे।काम करने के समय काम करें और आराम करने के समय आराम करें। रोजाना 6-8 घंटे की गहरी नींद जरूर ले। अक्सर धूप में जाने या मौसम बदलने के कारण सिरदर्द हो जाता है। इस दौरान सावधानी बरती जानी चाहिए। मौसम के बदलाव से खुद को बचाना चाहिए और अपना ख्याल रखना चाहिए। बहुत देर खाली पेट नहीं रहे। भोजन समय पर करें तथा स्वस्थ आहार लें और जंक फूड बचे। भरपूर पानी पीए। क्योंकि आपके सरदर्द का कारण निर्जलीकरण भी हो सकता है । कम्प्यूटर पर देर तक काम नहीं करें। बीच-बीच में ब्रेक लें। कम्प्युटर की पॉजीशन सही रखे। माइग्रेन की स्थिति में बर्फ या ठंडे पानी की पट्टी सिर पर रखें। इससे जो रक्त धमनियां फैल गयी हैं, वे फिर से अपनी पूर्व स्थिति पर वापस आ जाएगी।
तुरंत आराम के लिए दालचीनी को पीसकर या मेहन्दी इसका लेप माथे पर लगाएं। दालचीनी को पाउडर बनाकर दिन में चार बार ठंडे पानी के साथ खाने से भी आराम मिलेगा।
माइग्रेन सिर दर्द में अदरक बहुत फायदेमंद है। अदरक के सेवन से मिचली और उल्टी आना बंद हो जाएगी। पिसी दालचीनी, अदरक का पाउडर, पिसी काली मिर्च और तुलसी पत्ती को मिलाकर पीसकर पाउडर बना लें। इस मिश्रण का सेवन शहद के साथ करें। माइग्रेन सिर दर्द होने पर आराम करने की सख्त जरूरत है। रोशनी और आवाज से दूर रहें। आंख बंद करके सोने की कोशिश करें।हरी पत्तेदार सब्जियों और वजिटेबल जूस जैसे गाजर, पालक, खीरा खाए। मौसमी फल व सब्जियां खाएं। सिर दर्द शुरू होते ही जीभ की नोक पर एक चुटकी नमक रख लें आधा मिनट बाद पानी पी लें राहत मिलेगी।

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