जयपुर। भ्रष्टाचार के मामले में हाईकोर्ट के तत्कालीन कार्यालय सहायक विनोद भंडारी के खिलाफ सीबीआई कोर्ट में मुकदमा चलाने की स्वीकृति देते हुए राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीश बनवारी लाल शर्मा की एकलपीठ ने सीबीआई कोर्ट के 18 जुलाई, 2001 को दिये गये आदेश को रद्द कर दिया है।

सीबीआई ने याचिका दायर कर हाईकोर्ट को बताया कि सीबीआई के वकील ने 15 अप्रैल 1997 को सीबीआई में शिकायत दर्ज कराई थी कि एक जमानत याचिका की सुनवाई के दौरान कार्यालय सहायक विनोद भंडारी और एक अन्य व्यक्ति धर्मचंद ने आरोपी पक्ष की ओर से उन्हें 20 हजार रुपए देने की पेशकश की। बाद जांच सीबीआई ने दोनों आरोपियों के खिलाफ ट्रायल कोर्ट में आरोप पत्र पेश किया था। जिसे भंडारी ने चुनौती देकर कहा कि राज्य कर्मचारी के खिलाफ सीबीआई की कार्रवाई गलत है एवं सीबीआई कोर्ट को सुनवाई का क्षेत्राधिकार भी नहीं है। सीबीआई कोर्ट ने 18 जुलाई 2001 को अर्जी स्वीकार कर चालान को रद्द कर दिया। सीबीआई ने अपील कर हाईकोर्ट को बताया कि राज्य सरकार ने परिपत्र जारी कर राज्य कर्मचारियों के खिलाफ भी भ्रष्टाचार के मामले में सीबीआई जांच पर सहमति दे रखी है।

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