नयी दिल्ली : दिल्ली पुलिस ने आधार से जुड़े डेटा में सेंध संबंधी खबर मामले में एक प्राथमिकी दर्ज की है। यह प्राथमिकी आधार जारी करने वाले भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) के एक उपनिदेशक की शिकायत पर दर्ज की गई है और इसमें उस पत्रकार का नाम भी शामिल है जिसने इस मामले का खुलासा अपने समाचार में किया।प्राधिकरण के उप निदेशक बी.एम.पटनायक ने द ट्रिब्यून अखबार में छपी खबर के बारे में पुलिस को सूचित किया और बताया कि अखबार ने अज्ञात विक्रेताओं से व्हाट्सऐप पर एक सेवा खरीदी थी जिससे एक अरब से अधिक लोगों की जानकारियां मिल जाती थी। पुलिस ने आज इसकी जानकारी दी।पुलिस ने कहा कि पटनायक ने पांच जनवरी को इसकी शिकायत की थी और उसी दिन प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी थी।
प्राधिकरण के अधिकारियों ने बताया कि द ट्रिब्यून की संवाददाता ने खरदार बनकर विस्तृत जानकारियां खरीदी है। पुलिस ने कहा कि प्राथमिकी में पत्रकार तथा सेवा मुहैया कराने वाले लोगों का भी नाम शामिल हैं। हालांकि उन्हें आरोपी नहीं बताया गया है। पुलिस ने कहा कि प्राथमिकी में शामिल लोगों से पूछताछ की जाएगी।वहीं प्राथमिकी दर्ज कराने को लेकर आलोचकों के निशाने पर आने के बाद प्राधिकरण ने कहा कि वह प्रेस की आजादी समेत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का सम्मान करता है। प्राधिकार के अनुसार उसकी पुलिस शिकायत को संवाददाता को रोकने की कोशिश की तरह नहीं देखना चाहिए। प्राधिकरण ने कहा कि चूंकि यह अनाधिकृत जानकारी जुटाने का मामला है, इसमें आपराधिक प्रक्रिया शुरू की गयी है।
कांग्रेस ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सरकार मामले की जांच करने के बजाय खुलासा करने वाले के पीछे पड़ गयी है। कांग्रेस ने निजता के मुद्दे पर सरकार की नीयत पर भी सवाल उठाया। पार्टी के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने ट्वीट कर कहा, ‘‘निजता के मुद्दे पर सरकार की नीयत तभी साफ हो गयी थी जब इसने कहा था कि किसी भी नागरिक का उसके शरीर पर पूरी तरह से अधिकार नहीं है। उच्चतम न्यायालय में मोदी सरकार ने आधार के आंकड़ों में सेंध की बात स्वीकार की है। अब जांच करने के बजाय मोदीजी खुलासाकर्ता के ही पीछे पड़ गये हैं।’’ एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया ने प्राथमिकी वापस किये जाने को लेकर सरकार से दखल की मांग की और कहा कि मामले की निस्पक्ष जांच की जानी चाहिए।