जयपुर। केन्द्रीय उत्पाद शुल्क विभाग की एक टीम के एक फरवरी, २००८ को कोटपूतली के पास नाकाबन्दी कर एक कम्पनी के ट्रक को रोककर चेक करने तथा ७१,८५,५५५ रुपए की उत्पाद शुल्क चोरी करने के मामले में विभाग की ओर से कोर्ट में सीमेंट के बिल ही पेश नहीें करने पर आर्थिक अपराध कोर्ट में जज रंजना सर्राफ ने मैसर्स स्विफट फिनवेस्ट कम्पनी के मालिक ब्रह्मदत्त मोदी को आरोपों से उन्मोचित कर बरी कर दिया। व्यवसायी पर आरोप था कि २००५-०६ से सीमेंट का उत्पादन शुरू किया और उत्पाद शुल्क चोरी करने के लिए मैसर्स कामधेनू इस्पात लिमिटेड भिवाड़ी के नाम से उपरोक्त कामधेनू ब्राण्ड नाम से सीमेंट १ जून, २००६ से बेच रहे हैं। उत्पाद शुल्क विभाग ने जुलाई, २००६ से जनवरी, २००८ तक की जांच कर व्यवसायी मोदी व फर्म पर ७१,८५,५५५ रुपए का उत्पाद शुल्क कम अदा करने का आरोप लगाया था। विभाग ने उत्पाद शुल्क के अलावा व्यवसायी पर १० लाख रुपए की शास्ति लगाते हुए १५ मई, २००८ को नोटिस जारी किया। राशि जमा नहीं कराने पर विभाग ने कोर्ट में परिवाद पेश किया। ८ दिसम्बर, २०१४ को कोर्ट ने प्रसंज्ञान लेते हुए ब्रह्मदत्त मोदी को गिरफ्तारी वारन्ट से तलब किया था। मोदी ने कोर्ट में जीआरपीसी की धारा २४५ में प्रार्थना पत्र पेश कर बरी करने की मांग की। उसकी ओर से वकील के.पी. जैन ने पैरवी की। उभय पक्षों की दलीलें सुनाकर कोर्ट ने अर्जी स्वीकार कर ली और फर्म व आरोपी को बरी कर दिया।

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