जयपुर। उद्योग व राजकीय उपक्रम मंत्री परसादी लाल मीणा ने कहा है कि दिसंबर तक राज्य में नई औद्योगिक नीति और नई निवेश प्रोत्साहन योजना लागू कर दी जाएगी। उन्होेंने कहा कि प्रदेशवासियों को यह सरकार के एक वर्ष का बड़ा तोहफा होगा। मीणा सचिवालय में औद्योगिक सलाहकार समिति की बैठक को संबोधित कर रहे थे। उद्योग मंत्री राज्य के 24 औद्योगिक परिसंघों, चार विशेष आमंत्रित सदस्याें सहित औद्योगिक सलाहकार समिति के उद्योग, वित्त, राजस्व, रीको, श्रम सहित 14 विभागों के प्रतिनिधियों से नई औद्योगिक नीति के प्रारुप पर चर्चा कर रहे थे। उन्होेंने कहा कि राजस्थान की नई औद्योगिक नीति निवेशोन्मुखी होने के साथ ही नई जारी होने वाली निवेश प्रोत्साहन योजना भी उद्योगोें को बढ़ावा देने वाली होगी।

उद्योग मंत्री ने औद्योगिक बिजली की अधिक लागत की मांग पर चर्चा करते हुए कहा कि इस पर उच्च स्तर पर विचार किया जा रहा है। उन्होंने इस बात पर सहमति व्यक्त की कि उद्योगों को सस्ती और अन्य प्रदेशों की तुलना में प्रतिस्पर्धात्मक दरों पर बिजली मिलनी चाहिए। इसके लिए ओपन एक्सेस व्यवस्था पर भी पुनर्विचार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसी भी हिस्से में कलस्टर आधारित या विशेष जोन आधारित उद्योग लगाने के प्रस्ताव आते हैं तो इनका स्वागत किया जाएगा।

मीणा ने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश में उद्योग लगाना आसान बना दिया है। अब राजउद्योगमित्र की पावती पर बिना किसी स्वीकृतियों के उद्योग लगाने की सुविधा हो गई है। उन्होंने बताया कि राजस्थान की इस क्रान्तिकारी पहल को केन्द्र सहित करीब 14 प्रदेश इस कानून को अपने प्रदेशों में लागू करने के लए अध्ययन करा रहे हैं। उन्होंने कहा कि तेजी से औद्योगीकरण, नया निवेश और अधिक से अधिक रोजगार के अवसर सृजन हमारी सरकार की प्राथमिकता है। नियमों और प्रक्रियाओं को लगातार आसान बनाया जा रहा है। हमनें सीधे उद्यमियों से संवाद कायम करने की पहल की है ताकि एक दूसरे की समस्याआें को समझ सके और परस्पर सहयोग से प्रदेश के औद्योगिकरण में भागीदार बन सके।

अतिरिक्त मुख्य सचिव उद्योग डॉ. सुबोध अग्रवाल ने कहा कि सरकार द्वारा 3 साल तक स्वीकृतियों व निरीक्षण से मुक्ति का ही प्रभाव है कि बहुत कम समय में राजउद्योगमित्र पर दो हजार से अधिक निवेशकों ने आवेदन कर पावती प्राप्त कर उद्योग लगाने की पहल की है। उन्होेंने कहा कि बहुत कम समय में ही सरकार ने जिला व राज्य स्तर पर डिस्पुट रिड्रेसल मैकेनिज्म विकसित करने के साथ ही एक की जगह चार एमएसएमई काउंसिल गठित कर बड़ी राहत दी है।

डॉ. अग्रवाल ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा प्रदेश के उद्योगों के हित में बोर्ड ऑफ ट्रेड की बैठकों में केन्द्र सरकार के स्तर पर प्रभावी तरीके से रखते हुए उनके निराकरण का ्रपयास किया जा रहा है। उन्होेंने कहा कि केन्द्र सरकार से संबंधित कोई बिन्दु हो तो उसे भी राज्य सरकार के ध्यान में लाया जा सकता है। राज्य सरकार जल्दी ही नई ऋण योजना लाने जा रही है जिससे प्रदेश में उद्योग लगाना और आसान हो जाएगा।

बैठक में रीको के एमडी श्री आशुतोष पेण्डरेकर ने रीको द्वारा की जा रही पहल की जानकारी दी।
उद्योग आयुक्त श्री मुक्तानन्द अग्रवाल ने पॉवर पाइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से नई उद्योग नीति के प्रारुप के बिन्दुओं की जानकारी दी।
बैठक में उद्योग परिसंघों ने राजउद्योगमित्र पोर्टल, नई उद्योग नीति के प्रारुप, व औद्योगिक संघों से सीधे संवाद की पहल की सराहना करते हुए कहा कि इससे प्रदेश में बेहतर औद्योगिक माहौल बना है। बैठक में बिजली की दरें भी युक्ति संगत बनाने, भीलवाड़ा व जोधपुर में सेरेमिक पार्क की संभावना तलाशने, नए औद्यागिक क्षेत्र विकसित करने, आरएफसी से ब्रीज फायनेंस उपलब्ध कराने, औद्योगिक प्लॉटों के कन्वरजन, हस्तांतरण आदि को आसान बनाने का सुझाव दिया गया। इसके साथ ही एमएसएमई मेें सोलर एनर्जी को बढ़ावा देने, कृषि जिंसों के वेल्यू एडिशन, इलेक्टि्रक वाहनों के लिए नई नीति लाने, एसएसएमई उत्पादों की प्राथमिकता से खरीद और एमएसएमई के भुगतार विवादों के निस्तारण के लिए प्रभावी व्यवस्था करने का भी सुझाव दिया। बैठक में उद्योगों पर एसटीएफ के दबाव बनाने जैसी समस्याआें के समाधान का आग्रह भी किया गया।

बैठक में उद्योग राज्य मंत्री श्री अर्जुन सिंह बामनिया, वित्त सचिव डॉ. पृथ्वीराज, श्रम सचिव श्री नवीन जैन सहित विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारी व औद्योगिक संघों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।

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