जयपुर। प्रदेश में वकीलों के वेलफेयर फंड में राशि का अंशदान नहीं देने और नए वकीलों को स्टाइपेंड देने की मांग से जुडे मामले में राज्य सरकार की ओर से हाईकोर्ट में जवाब पेश कर युवा वकीलों को स्टाइपेंड देने पर अपनी असहमति जताई है। एएजी आरपी सिंह की ओर से पेश जवाब में विधि विभाग के विशिष्ठ शासन सचिव के पत्र का हवाला देते हुए कहा कि वकीलों को स्टाइपेंड दिए जाने के संंबंध में वित्त विभाग से सहमति मांगी गई थी, लेकिन वित्त विभाग का कहना है कि मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश व गुजरात में वकीलों को स्टाइपेंड देने का प्रावधान नहीं है। इसलिए यहां पर भी वकीलों को स्टाइपेंड नहीं दे सकते। इसके अलावा जन घोषणा पत्र 2019-20 के 27.17 के अनुसार अधिवक्ता समुदाय के प्रतिनिधियों से बात करके एडवोकेट्स पेंशन, इंश्योरेंस व स्टाइपेंड के संबंध में राज्य सरकार को बीसीआर जोधपुर से भी कोई प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है। अदालत ने राज्य सरकार के जवाब पर प्रार्थी को एक सप्ताह में जवाब देने का मौका देते हुए मामले की सुनवाई एक अगस्त को तय की है। सीजे एजी मसीह व जस्टिस समीर जैन की खंडपीठ ने यह आदेश हाईकोर्ट बार एसोसिएशन जयपुर के पूर्व महासचिव प्रहलाद शर्मा की पीआईएल पर दिए।
सुनवाई के दौरान एएजी ने कहा कि राज्य सरकार ने अपनी बजट घोषणा में वकीलों के कल्याण के लिए हर साल पांच करोड रुपए देने का प्रावधान किया है। इसके अलावा कोविड के दौरान भी फंड दिया था। इसके जवाब में याचिकाकर्ता का कहना था कि आंध्रप्रदेश, झारखंड, छत्तीसगढ व केरल में वकीलों को राज्य सरकार स्टाइपेंड दे रही है। इसलिए यहां पर भी सरकार दे। दरअसल याचिका में कहा था कि अन्य राज्यों में वकीलों के वेलफेयर के लिए स्कीम हैं, लेकिन राजस्थान के वकील इससे वंचित हैं। नए वकीलों को स्टाइपेंड की जरूरत है। प्रदेश में वकीलों की आकस्मिक मौत होने पर भी एडवोकेट वेलफेयर फंड से उनके परिजनों को आर्थिक मदद की कोई ठोस स्कीम नहीं है। इसलिए नए वकीलों को जल्द स्टाइपेंड जारी करवाएं और वेलफेयर फंड से अंशदान दिलवाया जाए।

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