-पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के गुजरातियों और राजस्थानियों वाले बयान पर जवाब दिया है
मुंबई. महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी के गुजरातियों और राजस्थानियों वाले बयान पर जवाब दिया है। उद्धव ने कहा कि राज्यपाल ने महाराष्ट्र में हर चीज का आनंद लिया है। अब समय आ गया है कि वो कोल्हापुरी चप्पलें भी देखें। उन्होंने यह भी कहा कि पिछले दो-तीन साल में गवर्नर के जो बयान हैं। उन्हें देखकर ऐसा लगता है कि महाराष्ट्र के नसीब में ऐसे लोग क्यों आते हैं? कोश्यारी ने शुक्रवार को कहा था कि मुंबई से राजस्थानियों और गुजरातियों को निकाल दें तो यहां पैसा बचेगा ही नहीं। इसके बाद पक्ष और विपक्ष दोनों की ही ओर से नाराजगी जाहिर की गई। उद्धव ने कहा, आपको पता होगा ही, जब मैं मुख्यमंत्री था तब भी लॉकडाउन जैसी स्थिति थी, लोगों की जानें जा रही थीं, तब उन्हें सर्वधर्मीय प्रार्थना स्थल खुलवाने की जल्दबाजी थी। मैंने तब उस विषय को ज्यादा खींचा नहीं, उन्होंने जो पत्र भेजा मैंने उसका उत्तर भेज दिया। एक मुख्यमंत्री के रूप में मैंने अपनी जिम्मेदारी पूरी की। इसी बीच सावित्रीबाई फुले पर भी इन्होंने बहुत ही अजीब और हीन प्रकार की टिप्पणी की थी और आज महाराष्ट्र में रहते हुए भी, मतलब महाराष्ट्र में पिछले तीन वर्षों से हैं। सब कुछ निपटा लिया है, मान मर्यादा पहले ही सब तोड़ चुके हैं। अब महाराष्ट्र में ही मराठी आदमी का अपमान किया। मुझे लगता है कि महाराष्ट्र के संस्कार हैं, परम्पराएं हैं, महाराष्ट्र में बहुत सी चीजें हैं। महाराष्ट्र में सुंदर गुफाएं हैं, पहाड हैं, शिवराय (छत्रपती शिवाजी महाराज) गडकिले हैं, महाराष्ट्र की पैठणी (पैठणी साड़ी) हैं, महाराष्ट्र के कुछ पकवान हैं, ये सभी उन्होंने पिछले दो ढाई साल से देखें ही होंगे। सब अच्छी चीजें देखी होंगी, लेकिन कोल्हापुर का जोड़ा (चप्पल) नहीं देखा होगा। कोल्हापुर का ‘वाहन’ भी उन्हें किसी को दिखाना चाहिए। क्योंकि कोल्हापुर का वाहन भी महाराष्ट्र का वैभव है।
अब इसका अर्थ कौन कैसे निकाले ये उस व्यक्ति पर निर्भर है, लेकिन कोल्हापुरी वाहन, कोल्हापुरी जोड़े दुनियाभर में प्रसिद्ध हैं। इसलिए ये भी उन्हें दिखाने का समय आ चुका है। महाराष्ट्र में लोग किस संघर्ष से उबरे हैं, ये दिखाने के लिए मैंने कोल्हापुरी चप्पल का उल्लेख किया है।’
राज्यपाल ने शुक्रवार को मुंबई के एक कार्यक्रम में कहा था कि मारवाड़ी-गुजराती जहां भी जाते हैं, अस्पताल, स्कूल आदि बनवाकर विकास में योगदान करते हैं। अगर महाराष्ट्र से खासकर मुंबई और ठाणे से गुजरातियों और राजस्थानियों को हटा दिया जाता है, तो यहां कोई पैसा नहीं बचेगा और मुंबई आर्थिक राजधानी नहीं कहलाएगी।

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