Contradiction in the attitude of the arrest and enforcement of the police: Court

नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय की रजिस्ट्री की एक रिपोर्ट के अनुसार गिरफ्तारी संबंधी मानक दिशानिर्देशों एवं उन्हें पुलिस द्वारा लागू करने के मामले में विरोधाभास है। परस्पर विरोधाभासी हालात को रेखांकित करते हुए दिल्ली उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल दिनेश कुमार शर्मा की रिपोर्ट में आपराधिक मामलों में आरोपी की गिरफ्तारी पर मानक दिशानिर्देशों को उचित तरीके से लागू करने पर पुलिस को प्रशिक्षित एवं संवेदनशील बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। रिपोर्ट के अनुसार किसी भी व्यक्ति को खासकर पारिवारिक विवाद के मामलों में बगैर वारंट गिरफ्तार नहीं किया जा सकता, लेकिन इस पहलू की आमतौर पर अनदेखी की जाती है। यह रिपोर्ट एक मामले में कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति गीता मित्तल एवं न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ के निर्देश के सिलसिले में दायर की गयी थी।

पीठ गिरफ्तारी एवं पुलिस थाना में किसी व्यक्ति को तलब करने से संबद्ध दिशानिर्देशों की कमी का आरोप वाली याचिका की सुनवाई कर रही थी। कथित उत्पीड़न एवं पुलिस की गिरफ्तारी की धमकी पर चिंता जाहिर करते हुए रजिस्ट्रार जनरल ने पक्षकारों के साथ बैठक की और पाया कि गिरफ्तारी पर दिशानिर्देशों का समुचित पालन नहीं होता है। रिपोर्ट के अनुसार, यह स्पष्ट है कि गिरफ्तारी से संबद्ध दिशानिर्देशों एवं अपनी जांच के दौरान किस तरह से पुलिस अधिकारियों को आगे बढ़ना चाहिए, इसके संबंध में पहले से ही बताया गया है। हालांकि उक्त दिशानिर्देशों एवं जिस तरह से इन्हें लागू किया जाता है उसके तरीकों में अंतर प्रतीत होता है। अदालत ने मामले में अगली सुनवाई के लिये 23 नवंबर की तारीख तय की है।

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