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Supreme Court to hear today in verdict right to privacy

जयपुर। एससी-एसटी और ओबीसी का आरक्षण घटाने, मीणा जाति को एसटी से बाहर करने, एससी और एसटी में क्रीमीलेयर सिद्धांत लागू करने के संबंध में दायर अपील पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान के मुख्य सचिव सहित कार्मिक विभाग, सामाजिक न्याय व अधिकारिता विभाग,ओबीसी आयोग, राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग और केंद्रीय जनजाति मंत्रालय से जवाब मांगा है। जस्टिस मदन बी. लोकूर की बैंच ने यह अंतरिम आदेश समता आंदोलन समिति की अपील पर दिए हैं।

समता आंदोलन समिति ने राजस्थान सरकार के 2008 के आरक्षण अधिनियम के जरिए राज्य में 68 प्रतिशत आरक्षण करने के फैसले को राजस्थान हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। गौरतलब है कि हाईकोर्ट ने 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण देने पर रोक लगा दी थी। बाद में सरकार ने इस अधिनियम को खत्म कर दिया था और नया अधिनियम लागू कर दिया था। हाईकोर्ट ने भी फरवरी 2016 में याचिका को सारहीन बताकर खारिज कर दिया था। हाईकोर्ट के आदेश को ही समिति ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे रखी है।

अपील में कहा गया है कि हाईकोर्ट ने एससी, एसटी और ओबीसी के आरक्षण को घटाने, मीणा जाति को एसटी से बाहर करने, एससी व एसटी में क्रीमीलेयर सिद्धांत जैसे बिंदुओं पर सुनवाई ही नहीं की और केवल याचिका में बताए गए आरक्षण अधिनियम को रद्द करके नया अधिनियम लागू होने के आधार पर मामले को सारहीन बताकर खारिज कर दिया जो अनुचित है। यहां यह बता दें कि आरक्षण में सरकार के गलत फैसलों के खिलाफ समता आंदोलन समिति ने लंबे समय से आंदोलन चला रखा है। पदोन्नति में आरक्षण के खिलाफ तो समिति को महत्वपूर्ण सफलता भी मिली है।

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