जयपुर। छबड़ा विधायक व पूर्व मंत्री प्रताप सिंह सिंघवी ने बुधवार को विधानसभा में वन विभाग पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाते हुए गहलोत सरकार को आड़े हाथों लिया। उन्होनें कहा कि मानव के जीवन में झीलों, नदियों, वन, पर्यावरण इत्यादि की अहम भूमिका है लेकिन देश की बढ़ती जनसंख्या व वनों की अंधाधुंध कटाई के कारण पर्यावरण पर खतरा मंड़राने लगा है। जंगलों की अवैध तरीके से अंधाधुंध कटाई की जा रही है जिससे मौसम परिवर्तन, गर्मी, आदि में वृद्धि हो रही है। प्रदेश में वनों की कटाई से सबसे ज्यादा पानी की कमी आई है। प्रदेश के सभी वन क्षेत्रों की पेमाइश करवाकर उनमें नंबरवाईज पिल्लर बनाए जाए। अगर विभाग के पास फण्ड की कमी है तो यह काम नरेगा से भी कराया जा सकता है। वन विभाग में वन रक्षक, वनपाल, रेंजर की संख्या कम होती जा रही है। सरकार को वन विभाग में फिल्ड स्टॉफ की शीघ्र भर्ती करनी चाहिए। केम्पा में लगभग 1000 करोड़ रुपये पड़े हुए है, किन्तु उनका उपयोग नहीं किया जा रहा है।  
सिंघवी ने वन विभाग की अनुदान मांग पर बोलते हुए अपने छबड़ा क्षेत्र से संबंधित समस्याओं की ओर सरकार का ध्यान आकृष्ट किया। विधानसभा क्षेत्र छबड़ा में वन विभाग की भूमि पर अवैध कब्जे कर खेती की जा रही है। रेंज छबड़ा के राजस्व ग्राम अल्लापुरा में वन विभाग की भूमि खसरा नं. 89, 90, 124 पर करीब 50 बीघा जमीन पर अवैध कब्जा कर रखा है तथा इस वन भूमि में नियम विरुद्ध ट्यूबवेल लगा लिए है। शिकायत के बावजूद विभाग द्वारा न तो ट्यूबवेल बंद करने की कार्रवाई और न ही वन विभाग जमीन से अवैध कब्जा हटवा रहा है। इसी तरह रेंज छबड़ा के ग्राम कांकरवा में वन विभाग की भूमि खसरा नं. 8, 10, 12 पर करीब 120 बीघा जमीन पर बेशकीमती सागवान के पुराने हरे पेड़ों को काटकर बेच दिए है और अब खेती की जा रही है। यह कार्य वन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत के बिना नहीं हो सकता। सिंघवी ने बारां जिले के वन अधिकारियों की कार्यशैली पर सवाल उठाए और शिकायत पर कार्य नहीं करने का आरोप लगाया। ग्राम राहरोन, पटवार हल्का बापचा में वन विभाग की भूमि खसरा नं. 181/2 जो पूर्व में गोपीलाल ऐरवाल के नाम दर्ज थी। इस भूमि को बाबूलाल रेगर ने खरीदी और बाबूलाल रेगर से श्रीमती लक्ष्मी बाई ने खरीदी जबकि बाबूलाल रेगर नाम का कोई व्यक्ति ही नहीं है खरीदी गई जमीन में घोड़ा वाले बस्ती, कोटा का पता है, इस जमीन की रजिस्ट्री में निवास से संबंधित कोई प्रमाण पत्र संलग्न नहीं है और इसके लगती हुई वन विभाग की भूमि पर मकान बनाकर मकान को किराए पर दे रखा है। इन मामलों की जांच उच्च स्तरीय कमेटी बनाकर करवाई की जाए। बारां जिले के ग्राम बटावदा के पास बारां-कोटा हाईवे पर सोयाबीन प्लांट लगा हुआ है इस प्लांट से इतना धूंआ निकलता है कि वहां से निकलने वाले लोगों की आंखों में जलन होती है और कपडे़ काले हो जाते है। रोज आने जाने वालों को कई प्रकार की बीमारियां होने का अंदेशा बना रहता है। प्रदूषण रोकने के लिए वन विभाग के अधिकारियों द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है।
सिंघवी ने स्वायत्त शासन की अनुदान मांग पर भी हिस्सा लेते हुए कई गंभीर मामले उठाए। उन्होंने कहा कि कोटा में आवारा पशुओं की बहुत बड़ी समस्या है। आवारा पशुओं के कारण आए दिन एक्सीडेन्ट होते रहते है, जिसमें कई लोगों की मृत्यु होती है। कोटा में नालों की साफ सफाई समय पर नहीं होती है। छोटी नगरपालिकाओं में सीवरेज लाईन नहीं है। कोटा संभाग में छबड़ा बड़ा कस्बा है। छबड़ा कस्बे में सीवरेज लाईन नहीं होने के कारण यहां के निवासियों को कई प्रकार की परेशानी उठानी पड़ रही है। आरयूआईपी के माध्यम से छबड़ा नगरपालिका में सीवरेज लाईन डलवाई जाए। कोटा में एरोड्रम चौराहे से डीसीएम की तरफ जाने के लिए काफी चक्कर लगाकर जाना पड़ता है। सर्किल की रिजाईन करवाई जाए जिससे यातायात सुगम हो सकें। कोटा के रिवरफ्रंट की मेंटीनेंस के लिए समुचित व्यवस्था की जानी चाहिए। जयपुर में ऐसे बहुत सारे रेस्टोंरेंट है जिन्होंने फुटपाथ पर अवैध कब्जा कर रखा है, जिससे लोगों को पार्किंग की समस्या होती है। जयपुर में मुख्यमंत्री निवास के एक किमी रेडिएस एरिए में हुक्काबार, शराब, स्मेक, डांसबार, बीयरबार जैसी अवैध गतिविधियां चल रही है। सरकार अवैध गतिविधियों पर रोक लगाने की कार्रवाई करें।

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