जयपुर। राज्य विधानसभा ने बुधवार को राजस्थान पिछड़ा वर्ग (राज्य की शैक्षिक संस्थाओं में सीटों और राज्य के अधीन सेवाओं में नियुक्तियों और पदों का आरक्षण) (संशोधन) विधेयक, 2018 ध्वनिमत से पारित कर दिया।
सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री डॉ. अरुण चतुर्वेदी ने विधेयक को सदन में प्रस्तुत किया। विधेयक पर हुई बहस का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि राज्य सरकार अपने राज्य के हितों के लिए संकल्पित है।

यह विधयेक सामाजिक न्याय के सिद्धांत को ध्यान में रखकर लाया गया है। उन्होंने बताया कि आरक्षण पर गठित विभिन्न आयोगों द्वारा 5 जातियों (बंजारा/बालदिया/लबाना, गाडिया लोहार/गाडोलिया, गूजर/गुर्जर, राईका/रैबारी/देबासी, गडरिया/गाडरी/गायरी) को घुमन्तू तथा अर्धघुमन्तू माना गया है। इन जातियों को आरक्षण देकर शैक्षिक एवं सामाजिक न्याय देना आवश्यक है। उन्होंने कहा कि समाज के समग्र विकास के लिए आर्थिक पिछड़ा वर्ग को भी अवसर मिलना चाहिए।

इससे पूर्व राज्य विधानसभा ने राजस्थान पिछड़ा वर्ग (राज्य की शैक्षिक संस्थाओं में सीटों और राज्य के अधीन सेवाओं में नियुक्तियों और पदों का आरक्षण) (संशोधन) अध्यादेश, 2017 को अस्वीकार करने के विधायक श्री घनश्याम तिवाडी के परिनियत संकल्प को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया। इससे पहले सदन ने विधेयक को जनमत जानने हेतु परिचालित करने के प्रस्ताव को ध्वनिमत से अस्वीकार कर दिया।

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