नई दिल्ली। नाम में क्या रखा है साहब व्यक्ति का काम देखो। लेकिन झारखंड के जमशेदपुर निवासी एक शख्स को इराक के पूर्व तानाशाह सद्दाम हुसैन के नाम पर रखे गए नाम का खामियाजा अब भुगतना पड़ रहा है। उच्च शिक्षा हासिल करने के उपरांत भी इस शख्स को किसी संस्थान में नौकरी नहीं मिल पा रही है। जी हां जमशेदपुर निवासी सद्दाम हुसैन के साथ ऐसा ही कुछ हो रहा है। जानकारी के अनुसार सद्दाम ने तमिलनाडू के नूरुल इस्लाम यूनिवर्सिटी से मरीन इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद उसके सभी साथियों को कहीं न कहीं नौकरियां मिल गई। लेकिन सद्दाम इस मामले में पिछड़ गया और उन्हें लगातार 40 अवसरों पर नौकरी से हाथ धोना पड़ा। इसके पीछे जो कारण निकल कर सामने आया। वह था उनका नाम। जो इराके पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन से मेल खाता था। हालांकि सद्दाम हुसैन का तख्तापलट होने के बाद वर्ष 2006 में उन्हें फांसी पर लटका दिया गया। लेकिन उनके नाम का असर अब जमशेदपुर निवासी सद्दाम को झेलना पड़ रहा है। जिनको एकाएक कोई नौकरी देने तक को तैयार नहीं है। यद्दपि सद्दाम के नाम की स्पेलिंग पूर्व तानाशाह के नाम से अलग है। फिर भी उसकी परेशानियों का दौर थमने का नाम नहीं ले रहा है। सद्दाम ने बताया कि यह नाम उनके दादा ने बेहद खुश होकर रखा और कहा कि यह दिन बड़ा आदमी बन कर परिवार का नाम रोशन करेगा। लेकिन अब स्थिति विपरित ही देखने को मिल रही है। नाम की वजह से सद्दाम को नौकरी के लिए दर-दर भटकना पड़ रहा है। उसके सभी बैचमेट नौकरी पाने में सफल रहे। लेकिन वह इस मामले में पिछड़ गया। जब उसने कारण ढूंढा तो पता चला कि कंपनियां उसके नाम की वजह से उसे रिजेक्ट कर देती है। ऐसा में वह वर्ष 2014 से ही जॉब की तलाश कर रहा है। लेकिन कंपनियां उसे जॉब देने में घबराती हैं। इस स्थिति से बचने के लिए उसने अपना बदला और साजिद रखा। फिर भी समस्या ज्यों कि त्यों ही है। क्योंकि उनके डॉक्यूमेंट तो सद्दाम के नाम से ही है। अपने डॉक्यूमेंटस में भी नाम बदलने को लेकर उसने सीबीएसई से लेकर यूनिवर्सिटी तक चक्कर काटे, लेकिन हुआ कुछ भी नहीं। आखिरकार उसने थकहार कर झारखंड की एक कोर्ट में अपना नाम बदलाने के लिए याचिका दायर की है। कोर्ट ने उनकी याचिका पर सुनवाई के लिए 5 मई की तारीख मुकर्रर की है।

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