भीलवाड़ा । पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अल्पसंख्यक हिंदू, सिंधी, सिख, बौद्ध आदि समुदाय के धार्मिक स्थलों पर हो रहे हमले व किए जा रहे अत्याचारों के विरुद्ध समूचे विश्व में सिंध प्रांत को आजाद करने की बातें उठ रही है। यह बात महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासी ने सनातन सेवा समिति की ओर से आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए कही । स्वामी जी ने कहा कि विश्व की सर्वाधिक प्राचीन सिंधु सभ्यता व संस्कृति आज संकट में है ।

पाकिस्तान में अल्पसंख्यक हिंदुओं के मानवाधिकारों का कुत्सित तरीके से उल्लंघन वहां की सरकार, सेना एवं कट्टरपंथियों के द्वारा किया जा रहा है। स्वामी जी ने यह विषय अपने अमेरिका प्रवास के दौरान संयुक्त राष्ट्र संघ को पत्र प्रेषित करते हुए भी उठाया और कहा कि पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों पर अत्याचारों को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा । सिंधु सभ्यता को बचाए रखने के लिए सिंध प्रांत को भारत में सम्मिलित करने पर बल देते हुए महामण्डलेश्वर स्वामी हंसराम उदासी ने उन्होंने कहा कि सिंध के बिना हमारा राष्ट्रगान भी अधूरा है क्योंकि सिंधु को छोड़कर राष्ट्रगान में उच्चारित समस्त राज्य भारत के अंग हैं । पाकिस्तान में हो रहे अल्पसंख्यक हिंदुओं के ऊपर जबरन धर्मांतरण का भी सनातन सेवा समिति की बैठक में पुरजोर विरोध करते हुए आक्रोश जताया तथा गंभीर चिंता व्यक्त की गई । चिंतन के दौरान यह बात सामने आई कि पाकिस्तान अल्पसंख्यकों के लिए नर्क बन गया है , वहां की हिन्दू कन्याओं का बड़ी संख्या में अपहरण कर उनका बलात धर्म परिवर्तन कर निकाह करवाये जा रहे है। इस विषय पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय ने भी पाकिस्तान की कड़ी भर्त्सना की है।

यह जानकारी देते हुए सनातन सेवा समिति के सचिव महेश नवहाल ने बताया कि शनिवार रात्रि हरिसेवाधाम सनातन मंदिर में संपन्न बैठक में संत मयाराम, संत राजाराम, संत गोविंद राम सहित विश्व हिंदू परिषद के चित्तौड़ प्रांत अध्यक्ष सुरेश गोयल, रविंद्र जाजू, हनुमान अग्रवाल, मूलचंद बहरवानी, मुरलीधर कोली, कैलाश कृपलानी, अशोक मूंदड़ा, भगवानदास नथरानी, रमेश मूंदड़ा, वीरू मल पुरसानी ने भी विचार प्रकट किए एवँ सुझाव दिए । बैठक के दौरान आगामी 11 अक्टूबर शुक्रवार को प्रातः राष्ट्रपति के नाम जिला कलेक्टर को ज्ञापन देने का भी निर्णय लिया गया। इससे पूर्व सर्व समाज की बड़ी मीटिंग बुधवार 9 अक्टूबर रात्रि 8 बजे रखी जाने का भी निर्णय लिया गया। इस अवसर पर हेमंत दास भोजवानी, ताराचंद रामचंदानी, हर्षित कोली, रमेश खोतानी, गोपाल ननकानी, खेमचंद कांजानि, ईश्वर कोडवानी, सुनील हेमराजानी, राजकुमार बदलानी, केएम हेड़ा, गुलशन कुमार, वासुदेव मोतियानी, लक्ष्मण दास लालवानी, टेकचंद टिकयानी सहित बड़ी संख्या में समाज जन उपस्थित थे।

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