Sachin Pilot
PM Narendra Modi, PCC Chief Sachin Pilot Statement, Kisan Loan Apology, Farmer's Movement, Warning, CM Vasundhara Raje

-राकेश कुमार शर्मा 

जयपुर। राजस्थान में सत्तारुढ़ भाजपा और कांग्रेस के बीच प्रतिष्ठा का प्रश्न बना धौलपुर उप चुनाव का समीकरण एक शख्स के मर्डर के चलते बदलता दिख रहा है। अलवर के बहरोड कस्बे में गौ-तस्करी के आरोप में गौरक्षक संगठनों के कार्यकर्ताओं के हाथों मारे गए पहलू खान के मर्डर ने प्रदेश की सियासत में भूचाल ला दिया है। पहलू खान की मौत का मामला संसद में गूंजा और आज सुप्रीम कोर्ट ने भी इस मसले पर छह राज्यों को नोटिस देकर जवाब मांगा है कि गौ रक्षक संगठनों पर क्या कार्रवाई की जा रही है। पहलू खान के मर्डर ने धौलपुर विधानसभा चुनाव को भी चपेट में ले लिया है। धौलपुर विधानसभा सीट में करीब पच्चीस हजार से अधिक मुस्लिम मतदाता है। इस सीट से भाजपा के सगीर विधायक निर्वाचित हो चुके हैं। चुनाव से पहले राज्य सरकार ने सगीर को वक्फ विकास परिषद का चेयरमैन बनाकर मुस्लिम मतदाताओं को अपनी तरफ खींचने का प्रयास किया। परिवहन मंत्री युनूस खान समेत कई मुस्लिम नेता मतदाताओं में एक्टिव हैं। मुस्लिम समाज के काफी कुछ मतदाताओं को भाजपा के पक्ष में ला भी दिया था। लेकिन तीन अप्रेल को बहरोड कस्बे में गौवंश तस्करी के आरोप में आधा दर्जन लोगों के साथ गौ रक्षक संगठनों के कार्यकर्ताओं ने गंभीर मारपीट की। गंभीर मारपीट के चलते पहलू खान की मौत हो गई। गौरक्षक संगठन सदस्यों की मारपीट से गंभीर घायल अजमत खान ने भी आरोप लगाया कि अगर पुलिस वाले नहीं आते उसे जिंदा जलाकर मारने की बात कही जा रही थी। मारपीट संबंधी वीडियो भी जमकर वायरल हो रहा है। इस घटना ने प्रदेश की सियासत में भी गरमाहट ला दी। कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट ने मामले को उठाते हुए कहा कि प्रदेश में कानून राज खत्म हो गया है। राज्यसभा में पहलू खान की मौत का मामला उठा। मुस्लिम व सामाजिक संगठन के कार्यकर्ता भी आंदोलन में कूद पड़े हैं। यह मुद्दा धौलपुर उप चुनाव में भी काफी गरमा गया है। कांग्रेस ने इसे मुद्दा बनाते हुए भाजपा को घेरा है और वहां के मुस्लिम मतदाताओं को संदेश दिया है कि कांग्रेस ही मुस्लिमों की हमदर्द है। इस घटना से मुस्लिम समाज को आहत किया है। वहीं भाजपा से जुड़े मुस्लिम नेताओं से भी यह मामला रखकर सवाल-जवाब किए जा रहे हैं। इस एक घटना ने धौलपुर उप चुनाव का समीकरण बदल डाला है। मुस्लिम समाज का कुछ वोट बैंक जो भाजपा की तरफ झुका था, उसके फिर से बिदकने के कयास लग रहे हैं। इसे भाजपा के नेता भी समझ गए हैं। कांग्रेस के हाथ में बड़ा मुद्दा आ गया है। वे इसे उठाकर मुस्लिम मतदाताओं को अपने पक्ष में कर रहे हैं। वैसे भी यह चुनाव दोनों ही दलों के बीच दिलचस्प और प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है। भाजपा चुनाव जीतती है तो विकास और सुशासन की जीत बताते हुए पार्टी आगामी विधानसभा चुनाव में उतरेगी, वहीं कांग्रेस यह सीटें जीतती हैं तो वह इसे भाजपा राज के कुशासन, भ्रष्टाचार, बिगड़ती कानून व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराएगी और जोश-खरोश के साथ विधानसभा के चुनाव मैदान में उतरेंगी।
-वसुंधरा-पायलट के लिए प्रतिष्ठा का सवाल
धौलपुर उप चुनाव दोनों दलों के साथ मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पीसीसी चीफ सचिन पायलट के बीच भी प्रतिष्ठा का सवाल है। कांग्रेस अगर यह सीट जीतती है तो सचिन पायलट का कद बढ़ेगा और पार्टी उन्हें मजबूती के साथ कार्य करने के लिए फ्री हैण्ड दे सकती है। अगर कांग्रेस चुनाव हारती हैं तो पायलट विरोधी खेमा एक्टिव हो जाएगा और उन्हें पीसीसी चीफ से हटाने के लिए लगेगा। ऐसी कुछ स्थिति भाजपा में है। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के लिए यह चुनाव अहम है। वे खुद धौलपुर से है। अगर पार्टी चुनाव हारती हैं तो मैसेज जाएगा कि प्रदेश में पार्टी की स्थिति ठीक नहीं है। विरोधी खेमा ज्यादा एक्टिव होगा और उन्हें सीएम पद से हटाने की मुहिम में तेजी से लगेगा। वहीं यह सीट भाजपा की झोली में जाती है तो वसुंधरा राजे ओर मजबूती से उभरेगी। भाजपा का ग्राफ बढ़ेगा। विरोधी खेमे द्वारा उन्हें हटाए जाने संबंधी मुहिम को धक्का या विराम लग सकता है। कुल मिलाकर धौलपुर उप चुनाव कांग्रेस-भाजपा के लिए तो प्रतिष्ठा का प्रश्न हैं, वहीं मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे और पीसीसी चीफ सचिन पायलट के लिए भी अग्नि परीक्षा जैसा है। यहीं कारण है कि दोनों ही नेताओं ने इस सीट को जीतने के लिए जी-जान से जुटे हुए हैं।

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