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जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पुलिस केसेज की समय पर तफ्तीश सुनिश्चित करने के लिए थानों में तैनात निर्धारित मापदंड पूरे करने वाले कांस्टेबल एवं हैड कांस्टेबल को भी अनुंसधान के लिए अधिकृत करने का महत्वपूर्ण निर्णय किया है। इस निर्णय से परिवादों का गुणवत्ता के साथ अनुसंधान होने के साथ ही पीड़ितों को समय पर न्याय मिल सकेगा और कांस्टेबल एवं हैड कांस्टेबल की ऊर्जा एवं दक्षता का उपयोग तफ्तीश कार्य में हो सकेगा।

उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री ने पिछले दिनों निर्देश दिए थे कि थाने में आने वाले प्रत्येक फरियादी का परिवाद दर्ज किया जाए। राज्य में फ्री रजिस्ट्रेशन की नीति के बाद थानों में प्रकरणों की संख्या बढ़ी है। थानों में केसेज की संख्या बढ़ने के कारण अनुसंधान में देरी नहीं हो, इसे देखते हुए मुख्यमंत्री ने यह अहम निर्णय किया है।

अनुसंधान की गुणवत्ता को देखते हुए उन्हीं कांस्टेबल तथा हैड कांस्टेबल को तफ्तीश के लिए अधिकृत किया जाएगा जोे स्नातक हों तथा 9 वर्ष की सेवा पूरी करने पर अश्योर्ड कैरियर प्रोग्रेस (एसीपी) प्राप्त कर ली हो तथा जिन्होंने थाने अथवा पुलिस चौकी पर 5 वर्ष की सेवा दी हो। इसके साथ ही उन्हें अनुसंधान का प्रशिक्षण लेने के बाद पुलिस महानिदेशक द्वारा निर्धारित परीक्षा भी उत्तीर्ण करनी होगी।
निर्धारित मापदंड़ों को पूरा करने वाले हैड कांस्टेबलों को सात वर्ष तक के कारावास से दंडनीय अपराधों के अनुसंधान तथा कांस्टेबलों को दो वर्ष तक के कारावास से दंडनीय अपराधों की तफ्तीश की जिम्मेदारी दी जा सकेगी। इन कांस्टेबल तथा हैड कांस्टेबल द्वारा किए गए अनुसंधान की मॉनीटरिंग संबंधित पुलिस उपाधीक्षक तथा पुलिस अधीक्षक द्वारा नियमित रूप से की जाएगी।

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