नई दिल्ली। यूपी विधानसभा को लेकर इन दिनों जहां बसपा, भाजपा, सपा-कांग्रेस पाटियां एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगा रहे हैं। वहीं सोमवार को समाजवादी पार्टी के लिए सुप्रीम कोर्ट से एक अच्छी निकल कर आई। सुप्रीम कोर्ट में यूपी की अखिलेश सरकार द्वारा शुरू की गई समाजवादी पेंशन योजना को लेकर चुनौती पेश की गई। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई करने से इंकार कर दिया। साथ ही इसे एक सुंदर योजना बताया। चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर, जस्टिस धनंजय वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस संजय किशन कौल की खंडपीठ ने कहा कि गरीबों के लिए बनी यह योजना एक सुंदर योजना है। याचिका में आरोप लगाया गया था कि इस योजना में अल्पसंख्यकों के लिए 25 फीसदी आरक्षण का प्रावधान है, जिसकी संविधान के तहत अनुमति नहीं है।
गौरतलब है कि अखिलेश यादव सरकार ने तीन साल पूर्व वर्ष 2014 में समाजवादी पेंशन के नाम से इस योजना की शुरुआत की। जो प्रदेश के चिन्हित गरीब परिवारों के आर्थिक और सामाजिक उन्नयन के लिए प्रारंभ की गई। इस योजना के तहत एससी/एसटी वर्ग के लिए 30 फीसदी, अल्पसंख्यक वर्ग के लिए 25 फीसदी और अन्य पिछड़ा वर्ग और सामान्य वर्ग के गरीबों के लिए 45 फीसदी आरक्षण का प्रावधान था। सुप्रीम कोर्ट इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ हिंदू फ्रंट फॉर जस्टिस की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। सुप्रीम कोर्ट ने इस योजना को चुनौती देने वाली याचिका को सुनवाई योग्य नहीं माना।

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