International Childhood Cancer Day poster. Help, support for children with cancer. Yellow ribbon as hope of victory for children with cancer. Vector

बाल मुकुन्द ओझा
विश्व बाल कैंसर दिवस हर साल 15 फरवरी को मनाया जाता है। इस साल की थीम बेहतर जीवन रक्षा है। यह थीम 3 वर्षो के लिए जारी कैम्पेन के तहत रखी रखी गयी है जो की वर्ष 2021, वर्ष 2022 एवं वर्ष 2023 तक चलेगी। भागदौड़ भरी ज़िंदगी में आज हर व्यक्ति अच्छी सेहत की बात करता है मगर अधिकांश व्यक्तियों को रोग का या तो समय पर पता नहीं चल पाता है या उसका सही तरह से उपचार नहीं हो पाता है, जिसके कारण हर साल पूरी दुनिया में लाखों लोगों की असमय ही अकाल मृत्यु हो जाती है। ऐसी ही एक बीमारी बाल कैंसर है। यह बीमारी बाल्यावस्था में हो जाती है। अंतर्राष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस का मुख्य उद्देश्य है अधिक से अधिक लोगो को बाल कैंसर के बारे में बताना है। यदि कैंसर के लक्षणों को समय पर पहचान लिया जाए, तो इलाज करवाकर उसे बचाया जा सकता है। अगर बच्चों की आंखों में अचानक चमक, पानी निकलना, धुंधला दिखाना, सूजन और भेंगापन दिखाई दे तो तुरंत डॉक्टर से जाँच करवाएं। बाल कैंसर के कारण लाखों बच्चें अपनी जान गवा देते है। कैंसर के ज्यादातर मामले बच्चों में 5 से 14 साल की उम्र के बीच नजर आते हैं। हमारे देश में 5 से 14 साल की उम्र के बच्चों में मृत्यु दर का नौवां सबसे बड़ा कारण कैंसर ही है। स्वस्थ जीवन का अधिकार हर बच्चे को है। कैंसर एक खतरनाक बीमारी है जो बड़ो को नहीं बल्कि बच्चों को भी डस लेती है। कैंसर का अर्थ होता है शरीर में कोशिकाओं की अनियंत्रित वृद्धि होना। कैंसर तब होता है जब शरीर की अपनी कोशिकाएं क्षतिग्रस्त हो जाती हैं और नियंत्रण से बाहर हो जाती हैं। आजकल नाना प्रकार की बीमारियों से बच्चे से बुजुर्ग तक पीड़ित है। दुनियाभर में हर साल एक लाख से अधिक बच्चें कैंसर के कारण अकाल मृत्यु का शिकार हो जाते है। अनेक कारणों से बच्चों में कैंसर की बीमारी कम होने के बजाय बढ़ती ही जा रही है। ऐसे में बच्चों में कैंसर के प्रति जन साधारण में जागरूकता फ़ैलाने के लिए हर साल 15 फरवरी को अंतर्राष्ट्रीय बाल कैंसर दिवस के रूप में बनाया जाता है। इस अभियान के जरिये बच्चों में कैंसर के आंकड़ा को कम करना है। साथ ही पता चलते ही तुरंत उपचार के लिए अस्पताल जाना है। अधिकांश बच्चों के कैंसर इलाज योग्य होते हैं और उनकी जीवित रहने की दर अधिक होती है।
बाल रोग विशेषज्ञों के अनुसार बचपन के कैंसर के सबसे आम मामलों में ल्यूकेमिया, मस्तिष्क कैंसर, लिम्फोमा, विल्म ट्यूमर, रेटिनोब्लास्टोमा और सॉफ्ट टिश्यू सरकोमा जैसे शामिल हैं। चिकित्सकों के मुताबिक बच्चे में यदि बार-बार बुखार,आलस, रक्तस्राव, हड्डी का दर्द और गर्दन में सूजन की शिकायत पाई जाये तो अविलम्ब बाल रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए। विश्व में प्रतिवर्ष 4 लाख बच्चों में कैंसर के लक्षण पाए जाते हैं। इनमें गरीब और अविकसित देशों में कैंसर से पीड़ित बच्चों की मृत्यु दर 85 प्रतिशत है। जबकि विकसित देशों में कैंसर से पीड़ित 70 प्रतिशत बच्चों का जीवन बच जाता है। भारत में हर साल हर दस लाख बच्चों में से 150 बच्चों में कैंसर का पता चलता है। देश और दुनिया में लोगों को इस घातक बीमारी से सचेत और जागरूक करने के उद्देश्य से बाल कैंसर दिवस का आयोजन किया जाता है। कई जगह कैंसर से पीड़ित बच्चों को आम लोगों द्वारा समाज में घृणा और उपेक्षा से देखा जाता है। आम लोगों में कैंसर से संबंधित विभिन्न प्रकार के सामाजिक मिथक है जैसे कि कैंसर पीड़ित के साथ रहने या स्पर्श से उन्हें भी ये घातक बीमारी हो सकती है। इस तरह के मिथक को खत्म करने के लिये जागरूकता और सजगता जरूरी है। कैंसर पीड़ित बच्चों के जीवन को स्वस्थ, आसान और खुशहाल बनाने के साथ कैंसर को हराने के लिये सरकार और समाज को मिलजुलकर प्रयास करने होंगे।

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