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नयी दिल्ली : मुसलमानों के प्रमुख सामाजिक संगठन जमीयत उलमा-ए-हिन्द ने मदरसों पर आतंकवाद का आरोप लगाकर उन्हें बंद करने की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से गुजारिश करने वाले उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी को कानूनी नोटिस भेजकर उनसे 20 करोड़ रुपये बतौर हर्जाना मांगा हैं। जमीयत उलमा-ए-हिन्द की महाराष्ट्र इकाई ने रिजवी को कल यह नोटिस जारी किया है। महाराष्ट्र इकाई के सचिव गुलजार अहमद आजमी ने आज टेलीफोन पर ‘भाषा‘ को बताया कि शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष रिजवी ने मदरसों को आतंकवाद और कट्टरवाद से जोड़कर उनका अपमान किया है। इसके लिये उन्हें कानूनी नोटिस भेजा गया है।

उन्होंने बताया कि जमीयत इस देश में इस्लामी संस्कृति, परम्पराओं और धरोहरों का संरक्षक है और वह मुस्लिम समुदाय के धार्मिक, सामाजिक और शैक्षणिक सुधार के लिये भी प्रयासरत है। इसके अलावा वह मदरसों की स्थापना में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आजमी ने बताया कि नोटिस में कहा गया है कि रिजवी ने आपराधिक नीयत से प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर मदरसों के बारे में गलत बातें कहीं, लिहाजा इस मामले में उनके खिलाफ मुकदमा चलाया जा सकता है। वह बिना शर्त लिखित माफी मांगें। साथ ही भावनाओं को जानबूझकर ठेस पहुंचाने के लिये जमीयत को 20 करोड़ रुपये बतौर मानहानि के हर्जाने के तौर पर चुकाएं।

नोटिस में कहा गया है कि अगर रिजवी इस नोटिस पर ध्यान नहीं देते हैं और मांगों को पूरा नहीं करते हैं तो जमीयत के पास उनके खिलाफ मानहानि, दीवानी या आपराधिक मुकदमे की कार्रवाई शुरू करने के अलावा और कोई रास्ता नहीं होगा। मालूम हो कि उत्तर प्रदेश शिया वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिजवी ने गत आठ जनवरी को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पत्र लिखकर मदरसों को ‘मानसिक कट्टरवाद‘ को बढ़ावा देने वाला बताते हुए उन्हें स्कूल में तब्दील करने और उनमें इस्लामी शिक्षा को वैकल्पिक बनाने का अनुरोध किया था।

रिजवी ने पत्र में कहा था कि मदरसों में शिक्षा ग्रहण कर रहे मुस्लिम बच्चों का शैक्षणिक स्तर इतना गिरा हुआ है कि वे सर्व समाज से दूर होकर कट्टरपंथ की तरफ बढ़ रहे हैं। मदरसे कट्टरपंथियों से प्रेरित हैं। मदरसों ने भारतीय मुसलमानों के बीच ऐसा माहौल पैदा किया है जो उन्हें सरकार एवं अन्य धर्म निरपेक्ष स्कूलों से दूर रख रहा है। उन्होंने यह भी दावा किया कि मदरसों में गलत शिक्षा मिलने की वजह से उनके विद्यार्थी धीरे-धीरे आतंकवाद की तरफ बढ़ जाते हैं। देश के ज्यादातर मदरसे जकात में दिए गए धन से ही चल रहे हैं और यह धन बांग्लादेश और पाकिस्तान जैसे देशों से भी आ रहा है। यहां तक कि कुछ आतंकवादी संगठन भी मदरसों को माली मदद पहुंचा रहे हैं।

रिजवी ने पत्र में कहा था ‘‘केंद्र सरकार से अनुरोध है कि भारत में मदरसा बोर्डों को समाप्त कर सभी मदरसों को स्कूल की श्रेणी में तब्दील कर दिया जाए और ऐसे स्कूलों को राज्य शिक्षा बोर्ड, सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड से पंजीकृत कराया जाए। ताकि मुस्लिम समाज के बच्चों को अपने निजी स्वार्थ और कट्टरपंथी मानसिकता के चलते मानसिक शोषण कर रहे कुछ संगठनों और कुछ मौलवियों की साजिश से बचाया जा सके।’’

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