पटना। आज की राजनीति में जहां हर दल में छोटे-बड़े नेता अपने जीवन काल में ही सगे-संबंधियों को राजनीति में उतारने के लिए उतावले हो रहे हैं। उन्हें सांसद, विधायक, प्रधान बनाने के लिए हर दांव खेलते हैं, वहीं राज्य का एक मुख्यमंत्री का परिवार ऐसा भी है, जो राजनीति नहीं करना चाहता है और ना ही राजनीति में करियर बनाना चाहता है। वह बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का परिवार। नीतिश कुमार के बेटे निशांत कुमार का कहना है कि वे राजनीति के बजाय आध्यात्मिक जीवन जीना पसंद करेंगे। मीडिया से बातचीत में निशांत ने कहा कि वे राजनीति नहीं कराने चाहते और ना ही राजनीति में जाना चाहते हैं। वे सिर्फ आध्यात्मिक जीवन जीना चाहते हैं। इस बारे में उन्होंने अपने पिता को भी बताया दिया है। निशांत का बयान ऐसे समय में आया है, जब यूपी समेत दूसरे राज्यों में नेताओं ने अपने पुत्र, पुत्री और दूसरे सगे संबंधियों को टिकट दिलाने के लिए एडी-चोटी का जोर लगा दिया है और वे उन्हें आगे बढऩे के लिए उतावले दिख रहे हैं। बिहार में वंशवाद की परम्परा हर दल में दिख रही है। पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बाद उनकी पत्नी राबड़ी देवी, अब उनके दोनों बेटे बिहार सरकार में डिप्टी सीएम और मंत्री पद पर है। हाल ही राबड़ी देवी ने यह बयान देकर चौंका दिया था कि उनके बेटे तेजस्वी यादव में मुख्यमंत्री बनने के सभी गुण हैं। लालू यादव ने भी बयान दिया है कि अब उनकी व नीतीश की उम्र हो चली है। अब भविष्य बच्चों का है। इनके बयानों के बीच नीतीश कुमार के बेटे निशांत के राजनीति से दूर रहने संबंधी बयान की हर तरफ प्रशंसा हो रही है। साथ ही उन नेताओं के लिए सीख भी है, जो अपने सगे-संबंधियों को आगे बढ़ाने के लिए कार्यकर्ताओं को पीछे धकेल रहे हैं।

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