– डॉक्टर्स के साथ सरकार की वार्ता विफल
जयपुर. राइट टू हेल्थ बिल के विरोध में हड़ताल पर चल रहे डॉक्टर्स के साथ सरकार की वार्ता विफल हो गई। रविवार को दोपहर सचिवालय में मुख्य सचिव उषा शर्मा, अतिरिक्त मुख्य सचिव अखिल अरोड़ा, प्रमुख सचिव टी रविकांत और जयपुर कलेक्टर की मौजूदगी में डॉक्टर्स से बातचीत हुई। बैठक में डॉक्टर्स ने दो टूक कहा हमें राइट टू हेल्थ बिल मंजूर नहीं है। बिल वापस लीजिए। ये बोलकर डॉक्टर्स सचिवालय से वापस चले आए हैं। प्राइवेट हॉस्पिटल एवं नर्सिंग होम सोसाइटी (पीएचएनएस) के सचिव विजय कपूर ने बताया हम सचिवालय में वार्ता करने गए थे। हमने अफसरों को कहा यह बिल असंवैधानिक है। हम लोग मुख्यमंत्री के अलावा किसी से बात नहीं करेंगे। क्योंकि मुख्यमंत्री ही इस बिल को वापस ले सकते हैं। हमने निवेदन नहीं किया हमने शक्ति से बोला है कि इस बिल को वापस ले लीजिए। उन्होंने कहा सोमवार जयपुर में ऐसा आंदोलन किया जाएगा जो न पहले कभी हुआ न फिर कभी होगा। इससे पहले सुबह एसएमएस हॉस्पिटल के जीबीएम (जनरल बॉडी मीटिंग) में डॉक्टर्स की मीटिंग हुई। इसके बाद जयपुर में डॉक्टर्स ने जवाहर सर्किल तक कार रैली निकाली। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत सुबह दिल्ली चले गए। इसलिए वो मीटिंग में शामिल नहीं हो सके। शनिवार को डॉक्टर हड़ताल को लेकर गहलोत शनिवार को दिल्ली दौरा बीच में छोड़कर शाम को जयपुर पहुंचे थे। जयपुर पहुंचते ही सीएम ने स्वास्थ्य मंत्री परसादी लाल मीणा, मुख्य सचिव उषा शर्मा सहित वरिष्ठ अफसरों के साथ बैठक की। सीएम ने मुख्य सचिव को डॉक्टरों के साथ बैठक करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद देर रात मुख्य सचिव ने हेल्थ डिपार्टमेंट के वरिष्ठ अफसरों से चर्चा की। रात को डॉक्टर वार्ता को तैयार नहीं थे। डॉक्टर्स मीटिंग में नहीं पहुंचे। डॉक्टर्स ने बात करने से मना कर दिया था। सीएम अशोक गहलोत ने डॉक्टरों से हड़ताल खत्म कर काम पर लौटने की अपील की।
– राइट टू हेल्थ में डॉक्टरों के हितों का पूरा ध्यान
सीएम ने कहा राइट टू हेल्थ में डॉक्टरों के हितों का पूरा ध्यान रखा गया है। डॉक्टरों का हड़ताल पर जाना उचित नहीं है। पक्ष-विपक्ष ने सर्वसम्मति से यह बिल पास किया है। अजमेर में प्रदर्शन के दौरान डॉक्टर्स ने सुंदरकांड का पाठ किया। साथ ही थड़ी लगाकर चाय बेची। इस दौरान प्राइवेट डॉक्टर्स एसोसिएशन के सचिव कुलदीप शर्मा ने बताया रविवार को डॉक्टर्स की हड़ताल का 9वां दिन है। राज्य सरकार की ओर से आंदोलन को खत्म करने के प्रयास में कोई कदम नहीं उठाए जा रहे। इसके कारण मरीजों को भी परेशान होना पड़ रहा है। राजस्थान में राइट टू हेल्थ बिल का विरोध कर रहे प्राइवेट डॉक्टरों और हॉस्पिटल्स पर सरकार शिकंजा कसने की तैयारी में है। सरकार ने प्रदेशभर के प्राइवेट हॉस्पिटल्स की डिटेल के साथ सूची मांगी है। इसके लिए सभी सीएमएचओ को लेटर जारी हो चुका है। सरकार को पता है कि तमाम हॉस्पिटल्स नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं। कोई आवासीय में हॉस्पिटल चला रहा है तो कोई बायो मेडिकल वेस्ट का ठीक से निस्तारण नहीं कर रहा है। सरकार को मिलने वाले टैक्स में भी बड़े पैमाने पर गड़बड़ी होती है। कई हॉस्पिटल्स तो नक्शे के अनुसार बने ही नहीं हैं। ऐसी बिल्डिंग को या तो सील किया जाएगा या गिरा दिया जाएगा। कुल मिलाकर सरकार इनकी कमियां निकालकर दबाव बनाने के प्रयास में है।
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