smart city mission india
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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट जयपुर में विवादों और भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गया है। पीएम मोदी ने देश के सर्वाधिक महत्वाकांक्षी स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में जयपुर को इसलिए शामिल किया था कि यह शहर अपनी अनूठी स्थापत्य कला और नगर नियोजन के लिए आज भी पहचाना जाता है। इसे देखने के लिए लाखों विदेशी पर्यटक आते है। स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट में हेरिटेज को संरक्षित करते हुए जयपुर को विश्वस्तरीय सुविधाओं वाला शहर बनाने के लिए बीस हजार करोड़ रुपए के काम हो रहे हैं, लेकिन काम को देखते हुए लगता है कि स्मार्ट सिटी के बजाय इस हेरिटेज शहर को बिगाड़ा जा रहा है। बाजारों के सौन्दर्यन का मामला हो या फुटपाथ बनाने का काम, हर काम में बवाल मच रहा है। ऐसा ही एक मामला परकोटे के चौकड़ी मोदीखाना में भूमिगत केबल लाइन का है। नियमों के विपरीत तो काम हो रहा है, साथ ही भूमिगत केबल बॉक्स (लोहे-सीमेंटेड पिलर) गंदे पानी के नालों व नालियों पर खड़े कर दिए है, जो कभी भी जानलेवा हो सकते हैं और हेरिटेज को भी बिगाड?े वाले है। करीब दस करोड़ रुपए के इस कार्य को लेने वाली फर्म स्वास्तिक इलेक्ट्रिकल एण्ड फर्टिलाइजर्स जयपुर टेण्डर शर्तों के मुताबिक केबल बॉक्स नहीं लगा रही है। कमीशन के फेर में अभियंता भी आंखें मूंदे हुए है। जनप्रहरी एक्सप्रेस ने टेण्डर व रुट सर्वे रिपोर्ट के आधार पर पडताल की गई तो कई तरह की धांधलियां सामने आई है…….

-राकेश कुमार शर्मा
JAIPUR. स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत चारदीवारी क्षेत्र में ओवरहेड लाइनों को हटाने के लिए दिए गए कार्य भ्रष्टाचार की भेंट चढने लगे हैं। इन लाइनों को हटाने के लिए पचास करोड़ रुपए के कार्य होने है, जिसमें से दस करोड़ रुपए के कार्य चौकड़ी मोदीखाना में चल रहे हैं। सबसे पहले चौकड़ी मोदीखाना क्षेत्र में झूलते तारों और खंबों को भूमिगत किया जाएगा। इसके बाद चारदीवारी के दूसरे क्षेत्रों में यह कार्य शुरू होगा। फिलहाल चौकड़ी मोदीखाना में भूमिगत केबल लाइन के लिए बनाए गए सीमेन्टेड स्ट्रेक्चर टेण्डर शर्तों के मुताबिक नहीं बनाए गए हैं।

रुट सर्वे रिपोर्ट के तहत चिन्हित स्थानों पर ये स्ट्रेक्चर नहीं बनाए, बल्कि इन्हें ऐसी जगहों पर बनाया है, जो जानलेवा और हादसों के सबक बन सकते हैं। सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक लोहे व सीमेन्टेड स्ट्रक्चर सड़क किनारे बनने चाहिए थे, लेकिन निविदाकर्ता फर्म स्वात्विक इलेक्ट्रिकल एण्ड फर्टिलाइजर्स जयपुर ने गंदे पानी की नालियों के ऊपर बना दिए और कुछ जगहों पर तो जहां गंदा पानी जमा होता है, वहां ये स्ट्रेक्चर खड़े कर दिए हैं। गंदे पानी के बीच में ही बिजली केबल डाली जाएगी और घरों के कनेक्शन भी स्ट्रेक्चर पर लगे बॉक्स से होंगे। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि नालियों के ऊपर बनाए गए स्ट्रेक्चर व बिजली बॉक्स में फाल्ट होने पर जानलेवा हो सकते हैं। पानी के अंदर बिजली केबल होने से बॉक्स में करंट आ सकता है, जो हादसे का सबक भी बन सकता है। नालियों व नालों की सफाई नहीं होने से आए दिन फाल्ट होंगे, जिससे बिजली गुल से जनता परेशानी हो सकती है।छोटे बच्चों व जानवरों के करंट की चपेट में आने की संभावना है।

-कहां गए जेडीए के 100 करोड़ रुपए
परकोटे की बिजली लाइनों को भूमिगत करने के लिए कांग्रेस सरकार में जयपुर डिस्कॉम को जयपुर विकास प्राधिकरण ने करीब 100 करोड़ रुपए दिए थे, लेकिन जयपुर डिस्कॉम ने लाइनों को भूमिगत नहीं किया। अब स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट के तहत ये काम हो रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि जेडीए की ओर से जयपुर डिस्कॉम को दिए गए 100 करोड़ रुपए कहां गए। जेडीए भी इस राशि के बारे में कई बार जवाब मांग चुकी है, लेकिन डिस्कॉम संतोषजनक जवाब नहीं दे पा रहा है। चर्चा है कि यह पूरा मामला उच्च स्तर पर पहुंच चुका है, जल्द ही इसकी उच्चस्तरीय जांच के आदेश हो सकते हैं।

-स्ट्रक्चर निर्माण में भी धांधली
टेण्डर शर्तों के मुताबिक, भूमिगत केबल व बिजली बॉक्स बनाने के लिए साढ़े चार फीट सीमेंट का स्ट्रेक्चर बनाना जरुरी है। यह तीन फीट सड़क के नीचे और डेढ़ फीट सड़क के ऊपर बनेगा, जिस पर लोहे का स्ट्रेक्चर बनकर उस पर पिलर बॉक्स स्थापित होगा। निविदाकर्ता फर्म की ओर से तय शर्तों के तहत ये स्ट्रेक्चर नहीं बनाए गए है। तीन फीट के बजाय डेढ़ से दो फीट स्ट्रेक्टर जमीन के नीचे बनाए गए है और उसके ऊपर भी कम माप के स्ट्रेक्चर बनाए है। इन स्ट्रेक्चरों की नाप-जोख की गई तो इसमें कई खामियां मिली। तय शर्तों के मुताबिक स्ट्रेक्चर नहीं पाए गए। गहराई में तो कम थे ही, ऊंचाई भी दस इंच तक ही थी। नालियों में बने स्ट्रेक्चर भी घटिया स्तर के थे।

-आंखें मूंदे हुए है अभियंता
टेण्डर शर्तों को धत्ता बताते हुए हो रहे इन नियम विरुद्ध कार्यों के बारे में स्थानीय लोग जयपुर डिस्कॉम को लगातार शिकायतें कर रहे हैं, लेकिन डिस्कॉम के अभियंता निविदाकर्ता फर्म से मिलीभगत के चलते कोई कार्रवाई नहीं कर रहे। बल्कि फर्म को बचाने में लगे हुए हैं। गलत कार्यों से स्मार्ट सिटी प्रोजेक्ट को तो नुकसान पहुंचा रहा है, वहीं ये कार्य जानलेवा भी हो सकते हैं।

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