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भोपाल। चिकित्सक लोगों की जान बचाते हैं और उन्हें खुशहाल जिंदगी के तौर-तरीके बताते हैं, लेकिन मध्यप्रदेश में मंदसौर के एक सरकारी चिकित्सा केन्द्र में नियुक्त डॉ.किशोर पाटीदार ने फंदे पर झूलकर अपनी जान दे दी। दुनिया को अच्छी जिंदगी की सीख देने वाले डॉ. किशोर पाटीदार के सुसाइड से हर कोई स्तब्ध रह गया। पाटीदार भले चिकित्सक माने जाते थे, लेकिन वे अकेलेपन से इतने आजिज आ गए कि उन्होंने अपनी जिंदगी समाप्त कर ली। सुसाइड से पहले एक नोट लिखा है और खास मित्रों को फेसबुक पर पोस्ट डाली है, जिसमें डॉ. पाटीदार ने बीबी और बच्चे के दूर रहने का दर्द सामने आया है। सुसाइड नोट में लिखा कि जान देने में तकलीफ तो होगी, लेकिन अकेलेपन से ज्यादा नहीं। इसे वाट्स अप पर भी अपलोड किया। किसी परिचित डॉक्टर को जब इस पोस्ट की जानकारी मिली तो उन्होंने पुलिस को सूचना दी। पुलिस मौके पर पहुंची तो घर बंद मिला। दरवाजा तोड़ा गया तो वे फंदे से झूलते मिले। पाटीदार सीतामऊ में अकेले रहते थे। उनकी पत्नी भी नौकरी करती है, लेकिन मनमुटाव के चलते वह व बच्चे अलग रहते थे। 2012 में पाटीदार की शादी मोनिका से हुई। मोनिका राजस्थान के झालावाड़ में मेडिकल कॉलेज में कार्यरत है। एक बेटा नयन भी मोनिका के साथ रहता है। पुलिस के मुताबिक पति-पत्नी में मतभेद थे। इसलिए वे अलग थे। सुसाइड नोट में किसी पर आरोप नहीं लगाया है। डॉ.पाटीदार ने सुसाइड किया है।
– सुसाइड नोट में पत्नी से खुश रहने व बेटे का ख्यान रखने को कहा
डॉ. पाटीदार ने सुसाइड नोट में किसी को भी सुसाइड के लिए जिम्मेदार नहीं ठहराते हुए लिखा है कि वह स्वेच्छा से मर रहा है। इसमें कोई दोषी नहीं है। पत्र में पत्नी मोनिका को संबोधित करते हुए लिखा, मोनिका तुम खुश रहना, बेटे नयन को भी खुश रखना। अपनी नौकरी करके खुशी-खुशी बहुत सारे पैसे जमा करना। मैं अकेला नहीं रह नहीं पा रहा हूं। इसलिए मर रहा हूं। इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं।

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