जयपुर। राजस्थान सरकार के औषधि नियंत्रण विभाग में अंधेरगर्दी का माहौल बना हुआ है। नियमों के विपरीत ना केवल पदोन्नति हो रही है, बल्कि जूनियर अधिकारियों को अतिरिक्त चार्ज देकर मनमानीपूर्ण आदेश करवाए जा रहे हैं। दागी अफसरों को जिम्मेदारी देने से अफसर-कर्मचारियों का मनोबल कम हो रहा है, वहीं गलत व मनमानीपूर्ण नियुक्तियों को लेकर भारी भ्रष्टाचार की भी विभाग में चर्चा है। ऐसे दागी अफसर के खिलाफ शिकायतों के बाद भी सरकार और विभाग प्रमुख कोई एक्शन नहीं ले रहा है, बल्कि उन्हें अतिरिक्त चार्ज देकर उपकृत करने में लगा है। औषधि नियंत्रण विभाग में सहायक औषधि नियंत्रक जयपुर के पद पर कुछ दिनों पहले पदोन्नत हुए अजय फाटक के मामले में ऐसी कुछ शिकायतें विभाग में विचाराधीन चल रही है। अजय फाटक के खिलाफ चल रही जांच के मुताबिक, अजय फाटक ने खुद पर चल रहे एक आपराधिक प्रकरण के तथ्यों को छुपाकर नियमों के विपरीत पदोन्नति करवाने का आरोप है। अजय फाटक के खिलाफ नौ साल पहले औषधि नियंत्रण कार्यालय के बाहर हनुमान प्रसाद जांगिड से ड्यूटी के दौरान मारपीट और डकैती जैसी धाराओं का मामला ट्रांसपोर्ट नगर थाने में दर्ज है। इस मामले में पिछले साल अधीनस्थ अदालत ने पुलिस एफआर को नामंजूर करते हुए प्रसंज्ञान आदेश लिया । इस आपराधिक प्रकरण के बारे में अजय फाटक ने विभागीय पदोन्नति समिति को नहीं बताया और औषधि नियंत्रण अधिकारी के पद से सहायक औषधि नियंत्रक के पद पर पदोन्नति प्राप्त कर ली, जबकि पदोन्नति सेवा नियमों के तहत आपराधिक प्रकरण जिस अफसर पर लंबित हो, उसे पदोन्नति नहीं दी जा सकती। बल्कि कोर्ट में लंबित ऐसे प्रकरणों के आधार पर अफसरों को निलंबित करने के प्रावधान है। राजस्थान हाईकोर्ट ने एक फैसले में यह भी आदेश दे रखे हैं कि किसी राज्यकर्मी के खिलाफ आपराधिक मामले का आरोप होने पर सक्षम अधिकारी और विभाग दोषी अफसर-कर्मचारी को निलंबित कर सकता है। अजय फाटक ने आपराधिक प्रकरण के तथ्यों को छिपाकर पदोन्नति ली है। इस बारे में शिकायतें भी की गई, लेकिन विभाग के आला अफसर उन्हें बचाने में लगे हुए हैं। यहीं नहीं विभाग में वरिष्ठ अफसरों को नजरअंदाज करते हुए आला अफसरों ने अपने चहेते अजय फाटक को औषधि नियंत्रक प्रथम जयपुर का अतिरिक्त चार्ज का जिम्मा भी दे रखा है। वरिष्ठ अफसरों को दरकिनार करके एक कनिष्ठ अफसर को अतिरिक्त चार्ज का जिम्मा देना विभाग में खूब चर्चा में है। इस पद के लिए अजय फाटक पांच साल के ड्रग कंटोलर का अनुभव भी नहीं रखते हैं। सेवा नियमों में साफ है कि वे पांच साल के अनुभवी को ही औषधि नियंत्रक पद का जिम्मा दिया जा सकता है, लेकिन विभाग ने इस नियम की भी अनदेखी की है।
हाल ही अजय फाटक की निजी अस्पातलों में स्टेंट जांच अभियान को लेकर सरकार की खासी किरकिरी हुई थी। दौसा में ड्रग कंट्रोलर रहते हुए दवाइयों के नमूनों को दबाए रखने को लेकर भी इनके खिलाफ जांच चल रही है। खास बात है कि अजय फाटक को दी गई गलत पदोन्नति और अपने सेवा काल के दौरान बरती अनियमितताओं, उनके खिलाफ लंबित आपराधिक प्रकरण व जांच के संबंध में शिकायतकर्ता सत्यनारायण पारीक ने मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, चिकित्सा मंत्री, प्रमुख शासन सचिव चिकित्सा, लोकायुक्त आदि को शिकायत कर रखी है। इस संबंध में आरटीआई से एकत्र दस्तावेज भी दे रखे हैं, लेकिन विभाग के आला अफसर तमाम शिकायतों को नजरअंदाज किए हुए हैं।

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