जयपुर। बहुचर्चित तुलसी एनकाउंटर मामले में मुम्बई की जिला अदालत ने हेडकांस्टेबल दलपत सिंह को रिहा कर दिया। जबकि मामले में एसओजी आईजी दिनेश एमएन सहित राजस्थान के 5 जनों के विरुद्ध अभी निर्णय आना शेष है। सोहराबुद्दीन का खास और विश्वास पात्र गुर्गा तथा शार्प शूटर तुलसी उर्फ प्रफुल्ल प्रजापति का वर्ष 2007 में अहमदाबाद पेशी पर ले जाते समय एनकाउंटर हो गया था।
इसके पीछे जो कारण बताए वो यह थे कि तुलसी को उसके साथी द्वारा फायर कर भगा ले जाने से रोकना था। मामले में सीबीआई जांच के बाद उदयपुर के तत्कालीन एसपी दिनेश एमएन, सीआई अब्दुल रहमान, एसआई नारायण सिंह, कांस्टेबल युद्धवीर, करतार सिंह व गुजरात के कुछ अन्य पुलिस अधिकारी आरोपित बनाए गए। उनके खिलाफ न्यायालय में आरोप पत्र पेश किया गया। काफी समय तक न्यायिक अभिरक्षा में बिताने के बाद सभी को जमानत मिल गई थी। इस मामले की सुनवाई मुम्बई स्थित जिला न्यायालय में चल रही है। कांस्टेबल दलपत सिंह ने आरोपों को नकारते हुए बताया कि फायरिंग के दौरान वो मौके पर मौजूद नहीं था। जहां सुनवाई के बाद न्यायालय ने उसे रिहा कर दिया। इस प्रकरण के साथ ही सोहराबुद्दीन एनकाउंटर की भी सुनवाई साथ साथ ही चल रही है। वहीं मामले में एसआई श्याम सिंह, हिमांशु राव व अन्य की सुनवाई शीघ्र होनी है।
-इनको पहले ही मिली राहत
इस एनकाउंटर के मामले में भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, गृहमंत्री राजस्थान गुलाबचंद कटारिया, उद्यमी विमल पाटनी व गुजरात के राजकुमार पाण्डेर को राहत देते हुए पहले ही रिहा किया जा चुका है।
-मोस्टवांटेड अपराधी था तुलसी
बता दें सोहराबुद्दीन का खास गुर्गा व शॉर्प शूटर तुलसी न केवल राजस्थान वरन गुजरात, महाराष्ट्र व मध्यप्रदेश राज्यों का मोस्ट वांटेड अपराधी था। महज 10 वर्ष के अपने अपराध जगत में ही उसके खिलाफ हत्या व लूट के 4, नकबजनी व फिरौती के 20 मामले दर्ज हुए। उसे पहली बार चोरी व नकबजनी के मामले में 1997 में मध्यप्रदेश पुलिस ने पकड़ा था। उसके बाद तो वह अनेक वारदातों के मामले में जेल में जाता रहा और बाहर आता रहा। उसी दौरान मध्यप्रदेश के भैंरुगढ़ जेल में सोहराबुद्दीन से मुलाकात हुई और उसका खास आदमी बन गया। तुलसी ने आतंक का दामन थामा तो सोहराबुद्दीन के इशारे पर बड़े-बड़े राजनेताओं, बिल्डरों व व्यावसायियों की सुपारी तक लेने लगा।