नई दिल्ली। मानहानि के मामले में घिरे दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की मुसीबतें कम होने का नाम नहीं ले रही है। इस बार सीएम केजरीवाल शुंगलू समिति की रिपोर्ट के मामले में घिर गए हैं। जहां समिति ने माना कि केजरीवाल सरकार ने अपने प्रशासनिक फैसलों में संविधान और प्रक्रिया संबंधित नियमों का उल्लंघन किया है। रिपोर्ट में समिति ने सीएम केजरीवाल पर अपने करीबी लोगों को लाभ पहुंचाने का सीधा आरोप लगाया। वहीं दिल्ली सरकार के कई अफसरों की भूमिका पर सवाल उठाए। गौरतलब है कि गत वर्ष सिंतबर माह में तत्कालीन उप राज्यपाल नजीब जंग ने नियंत्रक महालेखा परीक्षक वीके शुंगलू की अध्यक्षता में समिति का गठन कर केजरीवाल सरकार के फैसलों की समीक्षा कराई थी। समिति ने सरकारी फैसलों से जुड़ी 404 फाइलों की जांच की। जिसमें संवैधानिक प्रावधानों के साथ प्रशासनिक प्रक्रिया संबंधी नियमों की अनदेखी का खुलासा किया। समिति ने मुख्य सचिव, विधि एवं वित्त सचिव सहित अन्य विभागों के सचिवों को तलब किया और सरकार के फैसलों से जुड़े अधिकारियों की भूमिका को जांचा। रिपोर्ट की माने तो अधिकारियों ने समिति को स्पष्ट बताया कि उन्होंने सरकार को अधिकार क्षेत्र के बारे में आगाह किया। दिल्ली उपराज्यपाल के सक्षम प्राधिकारी होने की बात भी सरकार को बताई। वहीं इसके गंभीर परिणामों के मामले में चेताया। लेकिन सरकार ने बात नहीं मानी। फाइलों की जांच करने के बाद रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार ने प्रशासनिक अफसरों की सलाह को दरकिनार किया और संवैधानिक प्रावधानों, सामान्य प्रशासन से जुड़े कानून और प्रशासनिक आदेशों का उल्लंघन किया है। जिसमें एलजी से पूर्वानुमति लेने, फैसलों को अमल में लाने के बाद एलजी की अनुमति लेने और अपने अधिकार क्षेत्र से बाहर जाकर फैसले करने सरीखी अनियमितताएं पाई गई। जबकि सत्ता में आने के बाद आप सरकार ने संविधान और अन्य कानूनों में वर्णित विधायी शक्तियों के मामले में अलग दृष्टिकोण अपनाया। समिति ने केजरीवाल सरकार पर शासकीय अधिकारों के दुरुपयोग का आरोप लगाया। जिनमें अधिकारियों के तबादले, तैनाती और करीबियों की तमाम पदों पर नियुक्ति का जिक्र किया गया। वहीं सरकार के स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन की पुत्री को लाभ पहुंचाने की बात समिति ने अपनी रिपोर्ट में कही।

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