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जयपुर। देश की सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी होने का दावा कर रही भाजपा के इन दिनों राजस्थान में  “अच्छे दिन ” नहीं चल रहे है। एक तरफ तो पार्टी जहां अगले वर्ष होने वाले राज्य विधानसभा और फिर उसके बाद होने वाले लोकसभा चुनाव की  तैयारियों में व्यस्त है, वहीं दूसरी तरफ डेढ़ माह में पार्टी के दो सांसद और एक विधायक की मौत से पार्टी के चुनाव अभियान की गति को थोड़ा ब्रेक लगा है। आम चुनाव की तैयारियों में जुटी राज्य भाजपा को अब दो संसदीय क्षेत्र एवं एक विधानसभा क्षेत्र  में उप चुनाव की तैयारियों को लेकर कसरत करना पड़ रहा है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री और अजमेर के सांसद सांवरलाल जाट का तो पिछले माह लम्बी बीमारी के बाद देहांत हुआ था, वहीं शनिवार रात अलवर के सांसद महंत चांदनाथ का दिल्ली के अपोलो अस्पताल में निधन हो गया।

मांडलगढ़ की विधायकी कीर्ति कुमारी की स्वाइन फ्लू के कारण दो सप्ताह पूर्व की मौत हुई है। जाट और चांदनाथ के निधन के कारण रिक्त हुई अलवर एवं अजमेर दोनों ही संसदीय सीटें भाजपा के लिए राजनीतिक रूप से काफी महत्वपूर्ण है। अधिकतर चुनाव में कांग्रेस के कब्जे में रही इन दोनों सीटों पर साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मोदी लहर  के चलते भाजपा प्रत्याशियों की जीत हुई थी। अजमेर से भाजपा प्रत्याशी सांवरलाल जाट ने प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट को हराया था,वहीं अलवर संसदीय क्षेत्र में  महंत चांदनाथ ने पूर्व केन्द्रीय मंत्री भंवर जितेन्द्र सिंह को शिकस्त दी थी।

पायलट एवं जितेन्द्र सिंह दोनों ही कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी के काफी निकट माने जाते है। दोनों भाजपा सांसदों की मौत के कारण अब दोनों ही सीटों पर छह  माह के भीतर उप चुनाव होने है। भाजपा के लिए सबसे बड़ी मुश्किल तो इन दोनों ही सीटों पर मजबूत प्रत्याशियों की खोज है। पार्टी नेताओं की माने तो वर्तमान में भाजपा के पास ऐसा कोई चेहरा नहीं है जो कांग्रेस को शिकस्त दे सके। अजमेर के लिए तो संभावित प्रत्याशी को लेकर प्रदेश नेतृत्व ने संघ एवं भाजपा के नेताओं से फीडबैक लेने का काम शुरू किया था, लेकिन अब अलवर के लिए भी संभावित प्रत्याशी की खोज शुरू करनी होगी।

इसी तरह विधायक कीर्ति कुमारी के निधन के कारण रिक्त हुई मांडलगढ़ विधानसभा सीट पर भी भाजपा को प्रत्याशी की तलाश करनी होगी। इस क्षेत्र में गुटबाजी से  जूझ रही भाजपा के लिए वर्तमान में सर्वमान्य प्रत्याशी का चयन करना मुश्किल नजर आ रहा है। भाजपा नेताओं का कहना है कि पार्टी तो 15 माह बाद होने वाले विधानसभा और फिर लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी हुई थी, लेकिन अब दो संसदीय क्षेत्र एवं एक विधानसभा क्षेत्र में होने वाले उप चुनाव पार्टी एवं वसुंधरा सरकार के लिए अग्निपरीक्षा होंगे, क्योंकि इन चुनाव का असर आगामी विधानसभा चुनाव तक रहेगा।

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