Fraud Case

नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने आज आप सरकार और विधिक सेवा प्राधिकरण डीएसएलएसए से कहा कि पीड़िता मुआवजा योजना में यौन उत्पीडन की शिकार नाबालिगों को नये स्थान पर बसाने का प्रावधान जोड़ने पर विचार किया जाए। यह सुझाव कार्यकारी मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल और न्यायमूर्ति सी हरि शंकर की पीठ ने दिल्ली सरकार और दिल्ली प्रदेश विधिक सेवा प्राधिकरण को एक एनजीओ की याचिका पर दिया। एनजीओ ने याचिका में दिल्ली पीड़िता मुआवजा योजना :डीवीसीएस :पर फिर से गौर करने का अनुरोध किया।

एनजीओ ‘बचपन बचाओ आंदोलन’ ने अपनी याचिका में दावा किया कि बाल यौन उत्पीडन के कई मामलों में पीड़िताओं और उनके परिवार को नये स्थान पर बसाना जरूरी होगा क्योंकि उन्हें आरोपी से भविष्य में खतरा हो सकता है। संगठन की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एच एस फूलका और अधिवक्ता प्रभसहाय कौर ने कहा कि दिल्ली पीड़ित मुआवजा योजना में इस मुद्दे पर गौर नहीं किया गया।

उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत बलात्कार और अन्य यौन अपराधों के पीड़ितों को मुआवजा दिया जाता है लेकिन यह पीड़िता का स्थान बदलने या उसे नये स्थान पर बसाने के लिए वित्तीय मुआवजे या सहायता पर चुप है। इस मामले में आगे की सुनवाई 11 दिसंबर को होनी है।

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