High Court

जयपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने डेंटल कौंसिल आॅफ इंडिया की ओर से 21 मई 2012 को अधिसूचना जारी कर डेंटल कॉलेज खोलने के संबंध में जारी किए संशोधित नियमों को रद्द कर दिया है। अदालत ने कहा है कि डीसीआई नियम आदि बनाने के लिए अधिकृत है लेकिन नियम मनमाने नहीं हो सकते हैं।

केन्द्र सरकार यह स्पष्ट नहीं कर पाई है कि नियमों में अस्पताल की जगह मेडिकल कॉलेज की अनिवार्यता रखने से छात्रों का अध्ययन प्रभावित नहीं होगा। अदालत ने कहा कि डेंटल कॉलेज से न केवल अस्पताल जुडा होना चाहिए बल्कि उसमें संसाधन व पर्याप्त शिक्षकों की व्यवस्था भी होनी चाहिए। न्यायाधीश मनीष भंडारी और न्यायाधीश डीसी सोमानी की खंडपीठ ने यह आदेश बियानी शिक्षण समिति की ओर से दायर याचिका को स्वीकार करते हुए दिए।

याचिका में कहा गया कि डेंटल कॉलेज की मान्यता के लिए पहले नियमों में प्रावधान था कि कॉलेज के दस किलोमीटर के दायरे में सौ बेड की क्षमता का सरकारी अस्पताल होना चाहिए। वहीं डीसीआई ने 21 मई 2012 को अधिसूचना जारी कर इन नियमों में संशोधित कर दिया। नए नियमों के तहत डेंटल कॉलेज के तीस किलोमीटर दायरे में कोई भी सरकारी या निजी मेडिकल कॉलेज होने का प्रावधान किया गया। इसके अलावा यह भी प्रावधान किया कि एक मेडिकल कॉलेज से एक ही डेंटल कॉलेज जुडा रह सकता है। संशोधित नियमों को चुनौती देते हुए कहा गया कि डेंटल कॉलेज का जुडाव मेडिकल कॉलेज की बजाए अस्पताल से ही होना चाहिए। जिस पर सुनवाई करते हुए खंडपीठ ने डीसीआई के संशोधित नियमों को रद्द कर दिया है।

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