High court bribe on arbitrary grounds

आरसीए का निलंबन बहाल नहीं करने का मामला
जयपुर। आरसीए के निलंबन विवाद पर बीसीसीआई की ओर से मनमानी करनÞ पर राजस्थान हाईकोर्ट में न्यायाधीश एम.एन. भंडारी की एकलपीठ ने कहा कि ललित मोदी के खिलाफ मुकदमें लंबित होने का बहाना बनाकर आरसीए का निलंबन बहाल नहीं करना एक तरह से मनमानी है। ख्ोलों के हितों के लिए बीसीसीआई चाहे तो उचित शर्त लगाकर आरसीए का निलंबन बहाल कर सकती है। साथ ही हाईकोर्ट ने आरसीए को भी हिदायत दी है कि वे अपने आंतरिक विवादों को सुलझाए। ऐसा नहीं करने पर आरसीए पर प्रशासक नियुक्त किया जा सकता हैं। बाद में हाईकोर्ट ने बीसीसीआई को 17 नवंबर तक आरसीए का निलंबन हटाने के संबंध में जानकारी पेश करने को कहा।

जयपुर जिला क्रिकेट एसोसिएशन व अन्य की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान आरसीए सचिव आरएस नांदू की ओर से कहा गया कि बीसीसीआई के खिलाफ लंबित दावे को वापस ले लिया गया है। ऐसे में अब आरसीए का निलंबन वापस होना चाहिए। बीसीसीआई के वकील ने कहा कि आरसीए को नागौर जिला क्रिकेट संघ को निलंबित करना चाहिए। ललित मोदी को नागौर संघ से निलंबित नहीं किया गया है, बल्कि उसने स्वयं त्यागपत्र दिया है। ऐसे में वह कभी भी वापसी कर सकता हैं। इसके अलावा प्रवर्तन निदेशालय सहित अन्य कोर्टो में भी ललित मोदी के खिलाफ मामले लंबित हैं। जब तक ये मामले समा’ नहीं हो जाते, तब तक आरसीए का निलंबन वापस नहीं हो सकता। इस पर हाईकोर्ट ने नाराजगी जताते हुए पूछा कि वे ऐसे नियम पेश करें, जिसमें मुकदमा लंबित रहने पर आरसीए का निलंबन वापस नहीं लेने का प्रावधान हो। बीसीसीआई खेल के नाम पर राजनीति ना करे।

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