-डॉ मोनिका ओझा खत्री
धनतेरस पांच दिन तक चलने वाले दिवाली पर्व का पहला दिन है। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर आने वाला ये त्योहार इस साल 22 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान धनवंतरी सागर मंथन के दौरान हाथ में कलश लिए उत्पन्न हुए थे। भगवान धन्वन्तरि 0आयुर्वेद जगत् के प्रणेता तथा वैद्यक शास्त्र के देवता माने जाते हैं। भगवान धनवंतरी की जयंती को राष्ट्रीय आयुर्वेद दिवस के रूप में भी मनाया जाता है। धनतेरस को स्वास्थ्य के देवता धनवंतरी का दिवस माना जाता है। धनवंतरी आरोग्य, सेहत, आयु और तेज के आराध्य देवता हैं। माना जाता है कि यदि धनतेरस के दिन विधिपूर्वक भगवान धनवंतरी की पूजा की जाए तो वे प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं। ऐसे में परिवार के लोग निरोगी रहते हैं। स्कंद पुराण के मुताबिक समुद्र मंथन से भगवान धनवंतरी प्रकट हुए थे। जब वह प्रकट हुए तो उनके हाथ में अमृत कलश और पीतल के आभूषण थे। इसलिए धनतेरस पर भगवान की पूजा के साथ बर्तन या किसी पीली धातु को जरूर खरीदा जाता है। भगवान धनवंतरी विष्णु के अवतार थे और जब समुद्र मंथन हुआ था तो भगवान धनवंतरी के साथ शरद पूर्णिमा को चंद्रमा, कार्तिक द्वदशी के दिन कामधेनु गाय, त्रयोदशी के दिन धनवंतरी, चतुर्दशी के दिन मां काली और अमावस्या के दिन मां लक्ष्मी का जन्म हुआ था। इसलिए दिवाली से पूर्व धनतेरस मनाया जाता है। यह सर्वविदित है कि जहां स्वास्थ्य होता है वहीं लक्ष्मी का वास इसलिए भगवान धनवंतरी की जहां पूजा होती है, मां लक्ष्मी वहां अपने आप आ जाती हैं ऐसा पौराणिक मान्यताओं में कहा गया है। इसलिए धनतेरस पर धनवंतरि, कुबेर और लक्ष्मी मां की पूजा जरूर करनी चाहिए।
भारत में कई मंदिरों को भगवान धन्वन्तरि मंदिर के रूप में बनाया गया है। तमिलनाडु के वालाजपत में धनवंतरी आरोग्यपीदम मंदिर स्थापित है। इस आरोग्य मंदिर का निर्माण श्रीमुरलीधर स्वामिगल ने करवाया था। मध्य प्रदेश के मंदसौर में स्थापित तक्षकेश्वर मंदिर में नागराज तक्षक और आरोग्य देव धनवंतरी की मूर्ति स्थापित है। इस मंदिर के निर्माण के पीछे महाराज परीक्षित की सर्प काटने से मृत्यु और फिर उनके पुत्र जन्मेजय द्वारा नागों से प्रतिशोध की पौराणिक कथा जुड़ी है। कोयंबटूर में स्थित श्री धन्वंतरी मंदिर तमिलनाडु में एक और लोकप्रिय भगवान धन्वंतरी जी का मंदिर है। भगवान धन्वंतरि के सबसे प्रमुख और प्राचीन मंदिरों में से एक है नेल्लुवाई का धनवंतरी मंदिर। किंवदंती में कहा गया है कि मंदिर में मूर्ति अश्विनी देवों द्वारा स्थापित की गई थी और यह वही मूर्ति थी जिसकी श्री द्वारा पूजा की जाती थी। पेरिंगवे में श्री धन्वंतरि मंदिर केरल में त्रिशूर शहर के बाहरी इलाके में स्थित एक और पुराना धन्वंतरि मंदिर है। मंदिर का गर्भगृह 2 मंजिलों के साथ गोल आकार में बनाया गया है, जो अन्य केरल शैली की वास्तुकला के विपरीत एक दुर्लभ डिजाइन है। थोट्टूवा श्री धनवंतरी मंदिर भारत के कुछ भगवान धनवंतरी मंदिरों में से एक है। इस मंदिर के पीठासीन देवता धनवंतरी हैं और उनकी मूर्ति लगभग छह फीट लंबी और पूर्व की ओर उन्मुख है। श्री रुद्र धनवंतरी मंदिर जो लगभग 3500 वर्ष पुराना है, पुलमंथोले के केंद्र में स्थित है। मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में स्थित राजबाड़ा के पास आड़ा बाजार में भगवान धनवंतरी का 180 साल पुराना मंदिर है, जहां धनतेरस पर बड़ी संख्या में इंदौर के अधिकतर वैद्य और अन्य लोग दर्शन के लिए सुबह से आना शुरू हो जाते हैं। भारत के पूर्वी तट पर पूर्वी गोदावरी क्षेत्र में एक धन्वंतरि मंदिर है। यह आंध्र प्रदेश का सबसे पहला धनवंतरी को समर्पित मंदिर है। धनतेरस पर लोग अपने घरों में दीपक जलाते हैं। भगवान धनवंतरी की पूजा करते है। पौराणिक मान्यता है जो भी धनतेरस पर भगवान कुबेर, मां लक्ष्मी संग धन्वंतरि की पूजा करता है उसका घर हमेशा धन-धान्य, सुख-सुविधा और वैभव से परिपूर्ण रहता है। धनतेरस पर ज्यादातर लोग सोने-चांदी से बनी चीजों को प्रमुखता से खरीदते हैं और इसके लिए शुभ मुहूर्त पर विचार करते हैं। धनतेरस पर शुभ मुहूर्त पर सोने चांदी से बने बर्तन या आभूषण खरीदने पर बहुत ही शुभ परिणाम प्राप्त होता हैं।

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