जयपुर। राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पदमावत फिल्म को लेकर केन्द्र और राजस्थान की भाजपा सरकार पर निशाना साधा है। मंगलवार को कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव अशोक गहलोत ने अलवर के बहरोड़ में मीडियाकर्मियों से वार्ता के दौरान कहा कि केन्द्र और राज्य सरकार की लापरवाही और उदासीनता के चलते पद्मावत पर रोक नहीं लगी। पूरा समाज आंदोलन कर रहा है, लेकिन सरकार को चिंता नहीं है। गहलोत ने पद्मावती फिल्म विवाद के संबंध में कहा कि पद्मावती की अलग कहानी है। मेरा मानना है कि कला का सम्मान होना चाहिए। कलाकार का सम्मान होना चाहिए। परंतु उनको भी ध्यान रखना चाहिए कि किसी भी जाति, धर्म या वर्ग ये महसूस नहीं करे कि हमारा अपमान हो रहा है। पद्मावती फिल्म जब विवाद में आई थी।

आज भारत सरकार, राज्य सरकार किसकी हैघ्,् बीजेपी की। अगर सूचना प्रसारण मंत्रालय बुलाकर बात करता। संजय लीला भंसाली से बात करता। करणी सेना के नेताओं से बात करता। फिर सेंसर बोर्ड के चैयरमेन से बात करते। बुलाकर बात करके फैसला हो सकता था। परंतु क्योंकि गुजरात के चुनाव चल रहे थे, जानबूझकर के इन्होंने इसको हवा दी। और एक-एक करके राज्यों में बैन लगाये गये। एक साथ नहीं लगाये गये। कभी राजस्थान सरकार लगा रही है, कभी मध्यप्रदेश तो कभी गुजरात। तो ये जानबूझकर आग लगाई गई। और उसके परिणाम से आज सुप्रीम कोर्ट को पिक्चर में आना पड़ा। आप देख रहे हो देश के अंदर क्या माहौल बनाए अनावश्यक तनाव का माहौल बन गया। और अनावश्यक रूप से ये हालात पैदा हो गये कि सुप्रीम कोर्ट में फिर जाना पड़ा सरकार को।

ये तमाम सोची समझी चालें हैं। इनको वोट लेने थे गुजरात के अंदर। इनको बताना था कि कितने आपके खैरख्वाह हैं। हकीकत ये है कि ये आग लगाते हैं। जब घाव होते हैं, अब मरहम लगा रहे हैं ये लोग। जानबूझकर के। इसके अलावा कुछ भी नहीं है। चाहते तो विवाद पैदा होते ही सात दिन के अंदर विवाद समाप्त हो सकता था। मेरा मानना है। गुजरात चुनाव के संबंध में गहलोत ने कहा कि गुजरात चुनाव हो या आगे चुनाव हो। ये जानबूझकर के जातियों को लड़ाने का काम करते हैं। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के अलवर में, अजमेर के अंदर, माण्डलगढ़ के अंदर जातिवाईज चार्ट निकल रहे हैं। इतने बजे कौन-कौन जातियां आयेंगी। इतने बजे कौनसी जातियां आयेंगी। उस रूप में ये बुला-बुलाकर भ्रमित कर रहे हैं। भड़का रहे हैं लोगों को। ये स्थिति है सरकार की।

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