जयपुर। चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा का कहना है कि यह एक मिथक है कि तेजी से बढ़ते निजीकरण वाले विश्व में नीति निर्माण का कार्य केवल सरकार में बैठे लोगों द्वारा ही किया जा सकता है। भारत के बड़े व्यवसायी भी असमानताओं को कम करने में मदद कर सकते हैं। अरोड़ा ने कल यहां एमएल मेहता स्मृति तृतीय व्याख्यान माला को सम्बोधित करते हुए कहा कि भोजन, शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास एवं रोजगार के क्षेत्रों में सामाजिक व्यय को व्यापक रूप से बढ़ाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षा एवं स्वास्थ्य के लिए वैश्विक मानकों के अनुरूप बजट आवंटन किए जाने की आवश्यकता है। इतिहास में राष्ट्र की सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्था के परिवर्तन में शासन के प्रभाव का समाज साक्षी रहा है।
अरोड़ा ने कहा कि राष्ट्र को विश्व शक्ति में बदलने के लिए एकजुट एवं मजबूत करने के लिए ढांचा तैयार करने में शासन, इसके घोषणा पत्र एवं नीति निर्माण मदद करते हैं। इतिहास ने हमें सिखाया है कि व्यापार, तकनीक, बुनियादी ढांचे एवं सेना को नकारते हुए देश आगे नहीं बढ़ सकता। राष्ट्र को विकास के पथ पर आगे बढ़ाने में श्रेष्ठतम मानव पूंजी तथा शिक्षित, कुशल एवं स्वस्थ आबादी भी आवश्यक हैं।