-राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा, शाखाओं में बढ रही है युवा संख्या

जयपुर। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की अखिल भारतीय प्रतिनिधि सभा दिनांक 19 से 21 मार्च तक कोयम्बटूर में सम्पन्न हुई। वर्ष में एक बार होने वाली संघ की प्रतिनिधि सभा में 11 क्षेत्र व 42 प्रान्तों से 1396 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। जिसमंें संघ सहित सभी विविध संगठनों के कार्यकर्ता उपस्थित रहे। प्रतिनिधि सभा के बाद आज जयपुर के भारती भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता को सम्बोधित करते हुए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जयपुर प्रान्त संघचालक डाॅ. रमेश अग्रवाल ने बताया की सम्पूर्ण देश के साथ राजस्थान में भी संघ कार्य का विस्तार हुआ है। राजस्थान में गांव गांव तक संघ कार्य को पंहुचाने के लिए शरद ऋतु में 7500 स्वयंसेवक 7 दिनों के लिए संघ कार्य विस्तार के लिए गये। जिन्होनंे वही रह कर शाखाएं प्रारम्भ की। संघ के स्वयंसेवक शाखाओं के साथ समाज में विभिन्न स्थानों पर देश एवं समाज के विकास के लिए कार्य कर रहे हैं। डाॅ. अग्रवाल ने बताया की आज सामाजिक समरसता को बढावा देने के लिए वंचित समाज के बन्धुओं को साथ लेकर संघ का स्वयंसेवक अनेक कार्यो में लगा है। गांवो में जैविक खेती के साथ पर्यावरण संरक्षण पर भी ध्यान केन्द्रित किया जा रहा है। वही कुटुम्ब प्रबोधन के द्वारा परिवारो में हो रहे विघटन को दूर कर पुनः संयुक्त परिवार परम्परा को बढाने का प्रयास कर रहा है। प्रतिनिधि सभा के प्रारम्भ में संघ के सरकार्यवाह भैय्याजी जोशी ने वर्ष 2016-17 में संघ कार्य के विस्तार के साथ राष्ट्रीय परिदृश्य पर भी जानकारी रखी। वर्ष 2017 में सम्पूर्ण देश में 36729 स्थानों पर 57185 शाखाएं, 14896 साप्ताहिक मिलन एवं 7594 मासिक मंडली चल रहे है।
भैय्याजी ने कहा की अपने कार्य के द्वारा हम समाज में जागरण एवं चेतना शक्ति को जागृत करते हुए संगठित होकर परिवर्तन की दिशा में बढ रहे है। सर्वत्र अत्यंत अनुकूलता का वातावरण और अपने कार्य की स्वीकार्यता बढी है।
देश में घटित हुई महत्वपूर्ण घटनाओं पर भी प्रकाश डाला जिसमें सर्जिकल स्ट्राइक, विमुद्रीकरण तथा 15 फरवरी 2017 को 30 मिनट में 104 उपग्रह पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करने में सफलता पर सभी वैज्ञानिको का अभिनन्दन किया।
राष्ट्रीय व सामाजिक जीवन पर कुछ घटनाएं ऐसी होती है जिनका चिंतन एवं समीक्षा समय पर करने की आवश्यकता रहती है। राजनीतिक क्षेत्र में दिखाई देने वाली द्वेष भावना, राज्यों राज्यों में क्षेत्र भाव का पोषण करने वाली शक्तियां भी विद्यमान है। राजनीतिक असहिष्णुता व बल प्रयोग करते हुए अन्य विचारधारा के समर्थको के सम्मुख चुनौति खडी की जाती है। हिंसा का मार्ग अपनाते हुए हिन्दू समाज को भयग्रस्त करने का प्रयास होता है।
दशको से वामपंथी हिंसा का शिकार बना पश्चिम बंगाल सत्ता परिवर्तन के पश्चात् शांति और सुव्यवस्था की अपेक्षा कर रहा था। लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद हिन्दू समाज पर अत्याचारो की घटनायें बढी है। मालदा एवं धूलागढ में सत्ता प्रोत्साहित जेहादी हिंसाचार के कारण हिन्दू समाज को पलायन के लिए विवश होना पडा है। केरल की परिस्थिति भी विचारणीय है, जहां पर हिन्दू संगठनों के कार्यकत्ताओं पर हमलो की संख्या बढी है। सभा में पश्चिम बंगाल में बढती जिहादी गतिविधियो पर प्रस्ताव पारित किया गया।

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