Ram temple, build, first brick, ram mandir, Prince Tushi, ganam
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-गुण्डे संसद में जा सकते हैं तो संत क्यों नहीं: पूनावाला
जयपुर। ज्ञानम फाउंडेशन और मैसेज संस्थान की ओर से आयोजित किये गए दो दिवसीय ज्ञानम फेस्टिवल के दूसरे दिन रविवार को धर्माचार्योंए विद्वतजनोंए शिक्षाविदों और राजनीतिज्ञों ने विभिन्न सत्रों में परस्पर चर्चा की एवं देश को आध्यात्मिक और सामाजिक दृष्टि से दिशा देने पर चिंतन.मनन किया। दिन भर चले सत्रों में ज्योतिषविद और ज्ञान मनीषियों ने धर्मए तन्त्र.मंत्रए विज्ञान और धर्म के गूढ़ रहस्यों पर भी प्रकाश डाला। महोत्सव के समापन सत्र में ज्ञानम फाउंडेशन के अध्यक्ष दीपक गोस्वामीए जय आहूजा और सत्यजीत तालुकदार ने उपस्थितजनों का आभार व्यक्त किया।

सत्र ष्राम मंदिर . कितनी हकीकतए कितना फसानाघ् मनए मंशा और मिशनष् में मुगल सम्राट बहादुरशाह जफर के पड़पौते प्रिंस याकूब हबीबुद्दीन तुशीए धनेशमणि त्रिपाठीए डॉण् कुमार गणेश के बीच संवाद हुआए जिसका संचालन जय आहूजा ने किया। प्रिंस तुशी ने कहा कि न्यायालय के आदेश के अनुसार अगर अयोध्या में विवादित रामलला की भूमि हमारे स्वामित्व की है तो उसे श्रीराम मंदिर निर्माण के लिए मैं स्वयं राष्ट्र को भेंट करूंगा और पहली ईंट अपने हाथों से लगाऊंगा। यदि कोर्ट का निर्णय निर्मोही अखाड़े के पक्ष में जाता है तो भी मैं अयोध्या के मुस्लिमों को राम मंदिर के निर्माण के लिए सहमत करूंगा। अभी जिस भूमि पर विवाद हैए वहां नमाज़ पढ़ी ही नही जा सकती। इस मामले में राजनीतिक रोटियां सेंकने के लिए ही मामले को तूल दिया गया है। अयोध्या में मंदिर जरूर बनाना चाहिए। डॉण् कुमार गणेश ने कहा कि रामलला के स्थान पर मन्दिर और परिक्रमा के बाहर मस्जिद बनने पर दोनों पक्षों में सहमति बनी थीए लेकिन वोटों की फसल काटने के लिए उसे विवादित रंग दिया गया और राष्ट्रीय सामाजिक हित को धार्मिक रूप दे दिया गया है। राम मंदिर निर्माण राष्ट्र के अस्तित्व का विषय है लेकिन राजनीति ने देश को ही बांट दिया है।

अगले सत्र ष्राजनीति में धर्म का इस्तेमाल कितना सहीए कितना गलतष् में वरिष्ठ पत्रकार शहजाद पूनावालाए राज्य वित्त आयोग की अध्यक्ष डॉण् ज्योति किरण शुक्ला एवं मनोज कनक ने परिचर्चा की। इस सत्र का संचालन डॉण् कुमार गणेश ने किया। मनोज कनक ने कहा कि नीति बिना धर्म संभव नहीं है और धर्म को हम राजनीति में विशेष मानने लगे हैं। चाणक्य जैसे धर्माचार्यों ने चंद्रगुप्त जैसे सम्राटों को दिशा दी है। आज की परिस्थितियों में राजनीति ने धर्म विशेष का आवरण कर लिया है। पत्रकार शहज़ाद पूनावाला ने सवाल उठाया कि जब संसद में गुंडे.बाहुबली पंहुच सकते हैं तो संत.महंत क्यों नहींघ् देश मे बेशक धर्म आधारित राजनीति होनी चाहिए। युग धर्म में भगवा रंग को भी राजनीति में आना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि जब देश की राजनीति इटली से आए लोगों को स्थान दे सकती है तो हमारे यहां के संतों की लोकतंत्र में जगह क्यों नहीं। डॉण् ज्योति किरण शुक्ला ने कहा कि धर्म वह है जो कि हम धारण करते हैं। राजनीति को यदि धर्म से जोड़कर देखा जाए तो उसमें सिर्फ पूजा पद्धति को ही नहीं बल्कि कर्तव्यों को भी जोड़ा जाना चाहिए। श्रद्धानंद दीप बाबा ने कहा कि संतों को संसद में नहीं जाना चाहिए। आज जब भारत का राजनेता संतो के साथ मुस्कुराने में कतराता है। हम धीरे धीरे धर्म की स्वीकृति खोते जा रहे हैं।

राजीव कृष्ण शर्मा के संचालन में हुए सत्र ष्गीता.पुराणए शाश्वत सत्यष् में प्रोण् बीना अग्रवालए प्रोफेसर विनोद शास्त्रीए दीपक गोस्वामी ने गीता की व्याख्या करते हुए आज के संदर्भ में गीता के प्रसंगों और उपदेशो की उपयोगिता पर प्रकाश डाला।

मॉब लिंचिंग की घटनाओं पर आधारित विशेष सत्र ष्सनातन संस्कार व भीड़ तंत्र का मंत्रष् में रामगढ़ विधायक ज्ञानदेव आहूजाए वरिष्ठ पत्रकार श्रीपाल शक्तावत व अनुराग हर्ष और अरशद हुसैन ने बातचीत की।

सत्र ष्टैरोए अंक शास्त्रए तंत्र.मंत्र . एक वैज्ञानिक व्याख्याष् में जीणमाता धाम के लाल बाबाए श्रद्धानंद दीप बाबाए तंत्र विशेषज्ञ हिमानी अज्ञानीए मनोज कनक एवं डॉण् कैलाश प्रज्ञ ने परस्पर संवाद में टोना टोटका और तंत्र पर बात की। लाल बाबा ने कहा कि टोटका नकारात्मक ऊर्जा के प्रवेश के लिए उपाय किया जाता हैए लेकिन इसका उपयोग जनहित के लिए किया जाना चाहिए। मनोज कनक ने कहा कि तंत्र विद्या सत्य है लेकिन ये अंतिम सत्य नहीं है। नकारात्मक ऊर्जा को समाप्त करने का यह माध्यम भर है। हिमानी अज्ञानी ने कहा कि टोटका एवं तंत्र विद्या केवल भय की व्यवस्था है।

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